कुण्डली मिलान

कुंडली मिलान एक आवशयक पहलू है,जब भी घर में किसी का रिश्ता तय होता है, तो सबसे पहले कुंडली की ही बात क्यों कही जाती है,

क्या आपने सोचा है? हर एक व्यक्ति ऊर्जा का संचार होता है, उसके अपने गुण और अपने अवगुण होते हैं,

जब भी शादी की बात होती है तो सबसे पहले कुंडली मिला कर ये देख लिया जाता है,की आपके गुण आपके जीवनसाथी के गुणों से कितना मिलते जुलते हैं।

गुण मिलने पर जीवन यापन में समस्याएं बहुत कम हो जाती हैं।वैसे तो आजकल के युवा पीढ़ी इन बातों को नहीं मानते हैं,पर आपने देखा होगा की घर के बड़े बुजुर्ग कुंडली की बात ज़रूर करतें है। आखिर क्यो?

बडे़ बुजुर्गों का मानना है की कुंडली के मिल जानें से रिश्ते की नीव और उसकी छमता का अंदाज़ा हो जाता है।

जब हम जीवन के बड़े फैसले लेते है तो मन में ये तो जरूर आता है की कहीं कोई दिक्कत न हो,परिवार में तकलीफें न हो, और इसलिए कुंडली की जरूरत पड़ती है।

कुंडली मिलान के फ़ायदे

कुंडली में आप यूं समझ लीजिए, की आपकी पुरी जिंदगी की कहानी लिखी होती है,दुख –सुख और ग्रहों की दशा से सभी चीजों का अंदाज़ा हो जाता है।

जब भी कभी जीवनसाथी की बात होती है तो सबसे पहले कुंडली की बात आती है,इसके दो कारण हैं की पहला, कुंडली मिलाने पर ये देखा जाता है,

की कहीं जीवनसाथी की कुंडली में मांगलिक या कोई ग्रहों की दशा ख़राब तो नहीं, यदी ऐसा होता है।तो उसके उपाय किए जाते हैं। इसके आलावा कन्या और वर में,कहीं आगे जा कर किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न न हो जाए, ये भी देखा जाता है।

कुल मिला कर कुंडली हमारे जीवन का लेखा जोखा है।यदि किसी एक व्यक्ति में मंगल दोष है, और उसके होने वाले जीवनसाथी में उसका निवारण है।

तो दोनों के ताल मेल अच्छे हो जाते हैं,पर वही यदी कुंडली मिलाने की विरुद्ध किसी ने रिश्ता जोड़ लिया तो उसके जीवनसाथी के लिए अनेकों दिक्कतें आ जाती हैं।

कुंडली मिलान का महत्व

एक बार एक 24 वर्ष का युवक अपने परिवार के विरुद्ध अपनी प्रेमिका से विवाह करने का निर्णय लिया,पहले तो परिवार ने अत्यंत विरोध किया, पर फिर बाद में बेटे की खुशी के आगे झुक कर इनके शादी को तैयार हो गए,परिवार वालों ने बहुत समझाया की कुंडली मिलान करवा लेते हैं, दोनों के लिए ज़रूरी है।

कुंडली मिलान

पर आज कल के युवा कहा इन बातों को मानने वाले है, उन लोगों ने शादी कर ली।

अब कुछ महीनों के बाद लड़के की तबियत खराब रहने लगीं, बड़ी बड़ी बीमारी का शिकार हो गया,

यहां तक की स्थिति ऐसी हो गई थी अब डॉक्टरों ने जवाब तक दे दीया था की इसकी जान बचना मुस्कील है।

तब परिवार वालों ने अपने घरेलू पंडितों से दोनों बच्चों की कुंडली दिखाईं,तो पता चला की लड़की के कुंडली में मांगलिक दोष है, जिसके कारण ऐसी समस्याएं हो रही हैं।

कुंडली मिलान एक समस्या नहीं, बल्की आपकी समस्याओं के हल के रुप में काम करती है।

कुंडली मिलान के प्रभाव

एक उदहारण के रुप में यदी आपके कुंडली में राहु काल चल रहा है, तो वो आपके विवाह करने का सही समय नहीं है, इस बात की जानकारी देता है।

यदी आप गौर करें तो, कुंडली मिलान प्राचीन काल से ही चली आ रही है,ये एक science है जिसके द्वारा सिर्फ आपकी ऊर्जा को एक सही दिशा दी जा सकेगी।

आप अपने जीवनसाथी से एक अच्छा रिश्ता जोड़ रहें है या एक जबरदस्ती का बंधन होने वाला है,इनकी जानकारी आपको कुंडली मिलान से होती है।

आजकल एक बहुत बड़ी समस्या ये उत्पन हो रही है की, कुंडलियों के न मिलने पर परेशानियां बढ़ जाती हैं।

कई नए जोड़े जो एक दूसरे से प्रेम करतें है और एक दूसरे के बंधन में बंधना चहते हैं,

कुंडली मिलान

उनके बीच कुंडली मिलान चिंता का विषय बन गई है। कुंडली मिलान की चिंता उनके दिमाग में घर कर लेती है।कई बार ये जोड़े अपनी प्रेम कहानी को जब एक नया नाम देना चाहते है।

अर्थात् शादी करना चाहते हैं तो इनकी कुंडलियां आपास में नहीं मिल पाती। सच कहें तो ये सब फिजूल की बातें हैं।

ज्योतिषि के राय

जब आप किसी ज्योतिषी से इस बारे में राय लेंगे तो आपको समझ आयेगा की इस धरती पर हर समस्या का समाधान है।

चाहें राहु दोष हो या मांगलिक हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।

कुंडली मिलान की पुरी प्रक्रिया को वैदिक ज्योतिष में अस्तकुट मिलान कहा जाता है।अष्टकूट का अर्थ है आठ। ये आठ मापदंड को दूसरे व्यक्ति के साथ आपकी अनुकूलता को दर्शाते हैं।

इनमे से प्रत्येक पैरामीटर में कुछ ख़ास बिंदु होते हैं, जिन्हे मिलाकर छत्तीस गुण मिलते हैं।

आपने सुना होगा कई बार ज्योतिषी कुंडली मिलवाते वक्त ये कहते थें की इनके 36 के 36 गुण मिलते हैं,यानी वो एक दूसरे के लिए सही हैं और उनका जीवन बहुत अच्छे से कटने वाला है।

कुल मिलाकर कहा जाए तो, केवल 18 गुणों के मिलने से ही शादी की संभावना बहुत अधिक हो जाती है।

कुंडली नहीं मिलने पर क्या हल है?

परंतु कई बार ऐसा होता है की कुंडली नहीं मिली पर जोड़े को आपस में ही विवाह रचाना है,तो भी ज्योतिषी उनके सफल जीवन के लिए कोई उपाय सूझा देते हैं, जिस से की समस्याओं का हल निकल जाता है।

कई बार लोग पूछते हैं की यदी कुंडली नहीं मिली तो शादी हो सकती है या नहीं?

तो इसका जवाब ये हाय की हो सकती है,पर अच्छा होगा यदी आप किसी ज्योतिषी से राय ले लें ताकि भविष्य में होने वाली समस्याओं से आपको पहले ही अवगत करवाया जा सके।

कुंडली मिलान का साकारात्मक प्रभाव

कुंडली मिलान को हिंदी ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया माना जाता है।जिसका उपयोग जीवनसाथी के चयन में किया जाता है।

कुंडली मिलान द्वारा ज्योतिषी ग्रहों की स्थिति, नक्षत्र, दशा, गुण, वर्ण,वैवाहिक योग, मंगल दोष, विवाह संयोग आदि का विश्लेषण करते हैं।

इस प्रक्रिया का साकारात्मक प्रभाव कुछ महत्वपूर्ण तत्वों पर होता है:

1. ग्रहों की मिलान: कुंडली मिलान में ज्योतिषी द्वारा ग्रहों की स्थिति का विशेष महत्व दिया जाता है।

यदि जीवनसाथी की कुंडली में ग्रहों की संयोग स्थिति में सामंजस्य होता है, तो इसका साकारात्मक प्रभाव होता है।

यह संयोग पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक सुख में सुधार कर सकता है।

 

2. दोषों का पता चलना: कुंडली मिलान द्वारा ज्योतिषी दोषों की पहचान करते हैं,जैसे कि मंगल दोष, नाड़ी दोष, भकूट दोष आदि। जब दोनों कुंडलियों में ऐसे दोष होते हैं।

और उन्हें संशोधित नहीं किया जाता है, तो यह दोष समस्याओं का कारण बन सकता है।

कुंडली मिलान

3. गुण मिलान: कुंडली मिलान में गुणों का महत्वपूर्ण स्थान होता है।

ज्योतिषी गुणों की संख्या और संयोग के आधार पर मिलान करते हैं।

गुणों के मिलान से वैवाहिक संबंधों की गहराई, समझदारी और समानताएं पता चलती हैं।

4. प्रेरक उपयोग: कुंडली मिलान द्वारा जीवनसाथी के बारे में ज्योतिषी के प्रेरणात्मक सुझाव प्राप्त हो सकते हैं।

यह आपको संयम, समझदारी और सामर्थ्य के लिए मार्गदर्शन कर सकता है,और आपके वैवाहिक जीवन को सुखी और समृद्ध बना सकता है।

कुंडली मिलान एक मार्गदर्शक उपाय हो सकता है, लेकिन इसका अंतिम निर्णय आप पर निर्भर करता है।

यह आपके और आपके साथी के गुणों, मान्यताओं, आपसी समझदारी और संबंधों पर आधारित होना चाहिए।

इसे सिर्फ एक ज्योतिषी के साथ विश्वासनीयता के साथ करना चाहिए।

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