केतु का जन्म कुंडली पर प्रभाव
ज्योतिषास्त्र में, “केतु” एक ग्रह है जो हिन्दी ज्योतिष में महत्वपूर्ण माना जाता है।
यह एक छाया ग्रह होता है और यह चंद्रमा की पठ श्रेष्ठ(नोड) के एक संयोजन को दर्शाता है।
यह राहु के परस्पर विरोधी होता है और दोनों मिलकर केतु-राहु नामक सर्प योग (ग्रहों की गतिविधियों के आधार पर उनके प्रभाव) का कारण बनते हैं।
केतु को अंग्रेजी में “South Node” भी कहा जाता है।
इसे ज्योतिष शास्त्र में अनेक गुणों और प्रभावों से संबंधित माना जाता है।
इस का स्वामित्व मिथुन और कन्या राशि में होता है, जबकि इसकी उच्च नीच स्थिति वृश्चिक और मीन राशि में होती है।
Sauth node को अदृश्य, अर्थात , छिपा हुआ, रहस्यमय, विचित्र, अनुभवशुन्य, उपाय, तांत्रिक शक्ति, अकल्पनीय, नकारात्मकता, पराधीनता, परमार्थ का अभाव, छल, उल्लेखनीय वैशिष्ट्य, अद्भुत और आकर्षक प्रभाव से जोड़ा जाता है।
कुछ ज्योतिषाचार्य केतु को अविद्या, माया, भौतिकता और मदिरा भी संकेत करने के लिए उपयोग करते हैं।
ग्रह के दशा का प्रभाव
केतुकी दशा, अंतर्दशा और गोचर (ग्रहों की स्थिति के आधार पर उनका प्रभाव) व्यक्ति के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हैं,
जैसे कि करियर, स्वास्थ्य, विवाह, विदेश यात्रा, धार्मिकता आदि।
यह व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल लाने या अनियंत्रित इच्छाओं को प्रकट करने का प्रभाव डालता है।
यह उल्लेखनीय है कि ज्योतिष शास्त्र केवल एक विज्ञान नहीं है।
और इसे विश्वसनीयता के साथ लिया जाना चाहिए। ज्योतिष का उपयोग सिर्फ एक मार्गदर्शक के रूप में किया जाना चाहिए।
जीवन के निर्णय लेने के लिए उपयोगकर्ता की बुद्धि, विवेक, और अन्य आयामों के साथ मिलान करना चाहिए।
यह ग्रह वैदिक ज्योतिष में एक मान्यताओं और दृष्टिकोणों का प्रतीक है।
इसे केतु ग्रह या राहु ग्रह के नाम से भी जाना जाता है।
यह ग्रह एक नक्षत्र सिस्टम का हिस्सा है जिसे नक्षत्रिक ग्रह कहा जाता है, जिसमें सौरमंडल में एक उपग्रह होने की बजाय एक मायावी बिंदु की तरह वर्णित किया गया है।
केतु एक नाकारात्मक ग्रह के रुप में:–
इस ग्रह को खतरनाक माना जाता है क्योंकि इसे कुछ ज्योतिषीय परंपराओं में नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाता है जो जीवन को प्रभावित कर सकता है।
इस की गतिविधियों को मान्यताएं देकर, ज्योतिषी लोग केतु को मानुष जीवन में भय और आपदा का कारण मानते हैं।

केतु का नाकारात्मक प्रभाव
केतु एक नाकारात्मक ग्रह है जो ज्योतिष शास्त्र में प्रमुख ग्रहों में से एक माना जाता है।
यह ग्रह अंतरिक्ष में नहीं पाया जाता है, बल्क इसे एक अदृश्य ग्रह के रूप में देखा जाता है।
केतु को राहु के साथ मिलाकर ‘राहु-केतु’ या छाया ग्रह’ के नाम से भी जाना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में इस ग्रह को एक नकारात्मक ग्रह माना जाता है इसलिए इसे शुभ नहीं माना जाता है।
इस की उपस्थिति को ज्योतिष शास्त्र में विभिन्न दोषों और परेशानियों से जोड़ा जाता है।
यह दोष जीवन में समस्याएं, अधिक तनाव, बीमारी, आंतरिक संघर्ष, भ्रष्टाचार आदि का कारण माना जाता है।
कुछ ज्योतिषी इस ग्रह को कर्मिक ग्रह के रूप में भी देखते हैं।
और मानते हैं कि इसकी उपस्थिति व्यक्ति को अपने कर्मों के फल को भोगने के लिए प्रेरित करती है।
यह जरूरी है कि ज्योतिष शास्त्र विषय पर विशेषज्ञ की सलाह ली जाए, क्योंकि ज्योतिष एक गहरी और विस्तृत वैज्ञानिक छवि है।
और सम्पूर्ण जीवन के संकेतों का अध्ययन करने के लिए एकांत में विशेषज्ञ की जांच करना चाहिए।
केतु के साकारात्मक प्रभाव
राहु (Rahu) और केतु (Ketu) वैदिक ज्योतिष में दो ग्रह हैं जो छायाग्रह (Shadow Planets) के रूप में जाने जाते हैं।
इन्हें नक्षत्रियों की चक्रवृद्धि में उत्पन्न विमान के अगले और पिछले चक्रवृद्धि में छाया प्लेनेट के रूप में देखा जाता है।
केतु साकारात्मक या अशुभ प्रभाव वाला ग्रह माना जाता है।
इसका मतलब है कि केतु के सामर्थ्य और प्रभाव में संशोधन करने के लिए विशेष सतर्कता की जरूरत होती है।
केतु के साकारात्मक प्रभाव कुछ निम्नलिखित हो सकते हैं:
1. संयमहीनता: इस ग्रह की प्रभावशाली स्थिति में, व्यक्ति को संयमहीनता की समस्या हो सकती है।
उन्हें अपने लक्ष्यों और महत्वपूर्ण कार्यों में ध्यान केंद्रित रखने में कठिनाई हो सकती है।
2. मानसिक अस्थिरता: इस ग्रह का प्रभाव मानसिक अस्थिरता, चंचलता और चिंता के रूप में प्रकट हो सकता है।
इससे अधिक चिंता, उदासी और अस्वस्थ मानसिक स्थिति की संभावना बढ़ सकती है।
3. आध्यात्मिकता के प्रश्न: यह ग्रह आध्यत्मिक जीवन और गहन विचारों के प्रति आकर्षित कर सकता है।
यह व्यक्ति को आध्यात्मिक अन्वेषण, ज्ञान और मोक्ष के प्रश्नों के प्रति उत्साहित कर सकता है।
4. भाग्य में परेशानियाँ: इस ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के भाग्य में अस्थिरता और परेशानियों का कारण बन सकता है।
यह व्यक्ति को अनिश्चितता और अचानक परिस्थितियों का सामना करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
5. माया और भ्रम: इस ग्रह के प्रभाव में रहने से व्यक्ति मायावी और भ्रांतियों के घेरे में आ सकता है।
यह उन्हें वास्तविकता से दूर और असत्य की ओर आकर्षित कर सकता है।
प्रभाव
केतुका प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग होता है और यह अन्य ग्रहों के संयोग, स्थान, और दशाओं के साथ बदल सकता है।
ज्योतिष में यदि केतु का प्रभाव अशुभ हो तो व्यक्ति को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सावधान रहना चाहिए और उचित उपायों का पालन करना चाहिए।
केतु के नाकारात्मक प्रभाव के उपाय
इस ग्रह को नकारात्मक ग्रह माना जाता है और इसे विनाशकारी ग्रहों में से एक भी माना जाता है।
ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को शांत करने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं:
1. ग्रह शांति पूजा: इस ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए आप एक ग्रह शांति पूजा कर सकते हैं।
इसके लिए आप पंडित या विद्वान की मार्गदर्शन में इस पूजा का आयोजन कर सकते हैं।
2. मंत्र जाप: इस ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को शांत करने के लिए आप केतु के विशेष मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
यह मंत्र जाप आपको नकारात्मकता से रक्षा करने में मदद कर सकता है।
3. दान: दान करना एक अच्छा उपाय हो सकता है जो केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकता है।
आप गरीबों को अन्न, वस्त्र और धनराशि के रूप में दान कर सकते हैं।
4. रत्नों का धारण: इस ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को शांत करने के लिए आप केतु से सम्बंधित रत्नों को धारण कर सकते हैं।
लहसुनिया (कैट्स आई) और लहसुरा (हैमाटाइट) केतु के लिए प्रभावशाली माने जाते हैं।
5. ध्यान और प्रार्थना: इस ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए ध्यान और प्रार्थना करना महत्वपूर्ण है।
नियमित ध्यान और मेधावी अवस्था में केतु के प्रभाव को कम करने में सहायता मिल सकती है।
प्रभाव
यह सभी उपाय आपको केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं, हालांकि कृपया ध्यान दें कि ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के अन्य ग्रहों के संयोग और जन्मकुंडली पर भी निर्भर करता है।
अगर आपको वास्तविक और व्यक्तिगत सलाह की आवश्यकता है, तो एक पंडित या ज्योतिषी से संपर्क करना सर्वोत्तम होगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, केतु एक ग्रह है जिसका महत्वपूर्ण प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।
केतु की दशा और गोचर (ग्रहों के मौन गति) के समय इसका प्रभाव और महत्त्व बढ़ जाता है।
यदि आप केतु के प्रभाव से बचना चाहते हैं, तो निम्नलिखित कुछ उपायों को अपना सकते हैं:
1. ग्रह शांति पूजा: इस ग्रह के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए आप एक ग्रह शांति पूजा कर सकते हैं।
इस पूजा में पंडित या ज्योतिषशास्त्री आपको यजमान के निर्देशानुसार केतु की शांति के लिए विशेष मंत्रों और हवन करेंगे।
2. ध्यान और मेधा प्रशिक्षण: इस ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए, ध्यान और मेधा विकास के लिए अभ्यास कर सकते हैं।
योग और मेधा ध्यान के द्वारा मानसिक शांति प्राप्त करने और मानसिक स्थिरता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
3. मानसिक शक्ति का प्रयोग: इस ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए मानसिक शक्ति का उपयोग करें।
सकारात्मक सोच, स्वयं के साथ समझौता करने की क्षमता और स्वाधीनता विकसित करने का प्रयास करें।
4. दान: इस ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए, दान करने का विचार करें।
गोमांस, लाल मिर्च, बांग आदि को दान करने से केतु के दुष्प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।
5. उपाय और अनुष्ठान: ज्योतिष आपको विशेष उपाय और अनुष्ठान का सुझाव दे सकता है, जैसे कि केतु के लिए मणि धारण करना, केतु की माला धारण करना आदि।
इसे करने से इस ग्रह के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।
हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि ज्योतिष एक आधारभूत विज्ञान है और इसके उपायों की प्रभावशीलता और प्रभाव व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकती है।
यदि आप इस ग्रह के प्रभाव से बचने की इच्छा रखते हैं,
तो आपको अपने स्थानीय ज्योतिषी की सलाह लेना उचित होगा जो आपके व्यक्तिगत चार्ट और परिस्थितियों के आधार पर आपको उपायों की अच्छी सलाह दे सकेंगे।
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