ज्योतिषशास्त्र और ग्रह

नवग्रह को वैदिक ज्योतिष में मंदग्रह और तेजग्रह के दो वर्गों में विभाजित करता है. ज्योतिषशास्त्र में वैदिक ज्योतिष को मंदाग्रह और तेजग्रह के दो टुकड़ों में विभाजित किया गया है.

वैदिक ज्योतिष में, सौरमंडल में नौ ग्रहों को मान्यता दी गई हैं, जिन्हें निम्नलिखित क्रम में बताया गया है: सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु। जिनके अनुसार निम्नानुसार बताया गया है: सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु।

इन ग्रहों को जन्मकुंडली और ज्योतिषीय फलादेश में महत्वपूर्ण रूप से देखा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इन ग्रहों के स्थान और दशाओं का मनुष्य के जीवन पर प्रभाव होता है। क्योंकि सिद्धांत यह है कि इन राशियों के स्थान और दशाओं का मनुष्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। ऐसा कहा जाता है की यदि इन ग्रहों का प्रभाव किसी व्यक्ती पर नकारात्मक रुप से पड़ता है

तो उनके जीवन में कई ऐसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती है की उसे संभाल पाना बड़ा ही मुश्कील हो जाता है। तो उनके जीवन में कई ऐसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जो उन्हें धारण करने से पहले ही मुश्किल हो जाती हैं। वहीं यदि ग्रहों का साकारात्मक प्रभाव पड़ता है तो उस से मनुष्य का जीवन और भी सरल हो जाता है। तो आइए इन नवग्रहों के प्रभाव के बारे में जानते हैं। तो आइए इन नवग्रहों के प्रभाव के बारे में जानते हैं।

 

नवग्रहों का प्रभाव 

नवग्रह (Navagraha) एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है “नौ ग्रह”। यह नौ ग्रह ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

नवग्रह के रूप में शामिल होने वाले ग्रह हैं: सूर्य (Sun), चंद्रमा (Moon), मंगल (Mars), बुध (Mercury), गुरु

(Jupiter), शुक्र (Venus), शनि (Saturn), राहु (Rahu) और केतु (Ketu)।

यह नौ ग्रह ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण माने जाते हैं। नवग्रहों के रूप में शामिल होने वाले ग्रह हैं:

सूर्य (सूर्य), चंद्रमा (चंद्रमा), मंगल (मंगल), बुध (बुध), गुरु (बृहस्पति), शुक्र (शुक्र), शनि (शनि), राहु (राहु) और केतु (केतु).

 

ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों को विभिन्न गुणों, धातुओं, रंगों, विभाजन के साथ जोड़ा गया है।

इन ग्रहों की चाल के आधार पर ज्योतिषी व्यक्ति के भविष्यफल का अंदाज़ा लगाते हैं और उनके उपाय बताते हैं।

इन ग्रहों की चाल के आधार पर ज्योतिषी व्यक्ति के भविष्यफल का मुकाबला और उनके उपाय बताए गए हैं।

कई बार ग्रहों की चाल लंबे समय तक मानुष के जीवन में समस्याएं उत्पन्न करती रहतीं हैं, और उन्हे पता भी नहीं चलता।

उदहारण के तौर पर

एक व्यक्ती 5 सालों से दरिद्रता और बेरोजगारी से गुजर रहा था, जबकि उसके पहले तक वो बहुत धनवान था,

उसे किसी ने कहा की ज्योतिषी से उसे राय लेनी चाहिएं तो वो तुरंत अपनी दशा का कारण जानने ज्योतिषी के पास गया,

और फिर उसे मालूम चला की उसके ग्रहों की दशा ठीक नहीं है,

ज्योतिषी के बताए रास्ते पर जब उसने चलना शुरू किया, तब जा कर उसकी स्थिती वापास संभलती हुई नज़र आई।

उसे किसी ने कहा था कि ज्योतिष से उसे राय लेनी चाहिए तो वो तुरंत अपनी दशा का कारण अज्ञात ज्योतिष के पास गया,

और फिर उसे आकस्मिक रूप से उसके नक्षत्र की दशा ठीक नहीं है, ज्योतिष के मार्ग पर जब वह चलना शुरू करता है,

तब जा कर उसकी स्थिति वापस संभलती हुई दृष्टि आई।

हम अकसर अपने जीवन मे इन छोटे छोटे बातों को नज़रंदाज़ कर देते है,

पर इन छोटी छोटी बातों से आपके जीवन में क्या बदलाव आ सकता है इसका अंदाज़ा भी लगाना मुश्किल हैं।

इन छोटी-छोटी बातों पर आपके जीवन में क्या बदलाव आते हैं, इन्हें पहचानना भी मुश्किल हो जाता है।

मानव जीवन पर गहरा प्रभाव

नवग्रहों का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव होता है।

इनकी स्थिति और गति मनुष्य के जीवन, आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य, संघर्षों, प्रेम और वैवाहिक जीवन,

शिक्षा और विद्या, यात्रा, संतान, करियर, सफलता और अनुभवों पर प्रभाव डालती हैं।

यदि नवग्रहों की स्थिति अनुकूल नहीं होती है, तो इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति अनुकूल अनुभव नहीं करता है और समस्याओं का सामना करता है।

स्थिति और गति मनुष्य का जीवन, आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य, संघर्ष, प्रेम और

जीवन, शिक्षा और विद्या, यात्रा, संत, साहस, सफलता और सौभाग्य पर प्रभाव डालते हैं।

यदि नवग्रहों की स्थिति उपयुक्त नहीं है, तो इसके परिणामस्वरूप व्यक्तिगत अनुकूल अनुभव नहीं होता है

और समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

नवग्रह के प्रभाव से बचने का उपाय

वैदिक ज्योतिषी में नवग्रहों के प्रभाव को निष्कर्षित करने के लिए विभिन्न उपायों का उपयोग किया जाता है,

जैसे कि मंत्रों, ध्यान, दान, यज्ञ, रत्नों का धारण करना आदि।

जैसे कि मंत्र, ध्यान, दान, यज्ञ, रत्नों का धारण करना आदि।

ये उपाय नवग्रहों के दोषों को नष्ट करने और उनके अनुकूल प्रभाव को बढ़ाने का मान्य तरीका माने जाते हैं।

नवग्रह एक हिंदू ज्योतिष की परंपरा में उपयोग होने वाले नौ ग्रहों का समूह है।

इन नवग्रहों को सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहू और केतु शामिल होते हैं।

इन नवग्रहों में सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु शामिल होते हैं।

हिंदू ज्योतिष में नवग्रहों को व्यक्ति और समाज पर साकारात्मक प्रभाव डालने के लिए मान्यता है।

ग्रहों का साकारात्मक प्रभाव 

नवग्रहों का साकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर विभिन्न रूपों में पड़ता है।

यह प्रभाव उनकी जन्मकुंडली, राशि, ग्रहों की स्थिति और उनके संयोग पर निर्भर करती है।

नवग्रहों के साकारात्मक प्रभाव के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:

इसका प्रभाव उनकी जन्मकुंडली, राशि, राशि की स्थिति और उनके संयोग पर निर्भर करता है।

नवग्रहों के साकारात्मक प्रभाव के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:compatibility astrology

                     नवग्रह से सकारात्मकता का संचार

सूर्य का प्रभाव

सूर्य: सूर्य मनुष्य के जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य, प्रभावशालीता और स्वयं के ज्ञान को प्रकट करता है।

सुनहरे सूर्य का प्रभाव धन, स्वास्थ्य और शौर्य की वृद्धि के साथ आता है।

शास्त्रों में लिखा है की यदि हम नियमित रुप से सूर्य की पूजा करते है तो सूर्य देवता हमेशा हमें धन,

सूर्य का प्रभाव धन, स्वास्थ्य और शौर्य की वृद्धि के साथ आता है।

शास्त्रों में लिखा है कि यदि हम नियमित रूप से सूर्य की पूजा करते हैं

तो सूर्य देवता हमें सदैव धन, स्वास्थ्य, और शौर्य से धनी कर देते हैं।

इस बात मे कोई झूठ नहीं है, क्योंकि ज्योतिषी शास्त्र में भी जब सूर्य की दशा किसी व्यक्ती के जीवन पर नकारात्मक होती है तो,

उन्हे हर रोज सूर्य को जल अर्पण करने की सलाह दी जाती है। जिस से मनुष्य के जीवन में दुखों और नकारात्मकता का विनाश होता है

तो किसी भी व्यक्ति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए हर रोज सूर्य को जल चढ़ाने की सलाह दी गई है।

जिससे मनुष्य के जीवन में दुखों और नकारात्मकता का विनाश होता है

चन्द्रमा का प्रभाव

चंद्रमा: चंद्रमा भावनात्मकता, मानसिक स्थिरता, प्रेम और संबंधों के साथ जुड़ा होता है।

यह ग्रह मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक अनुभवों को प्रभावित करता है।

अब आप अंदाजा लगा सकतें है की यदि चंद्रमा का प्रभाव नकारात्मक होता है,

तो ना ही मानसिक स्थिरता रहेगी और ना ही आपके संबंध किसी से भी सुधरेंगे सब कुछ बिगड़ता हुआ ही नजर आएंगे तो इसलिए जरूरी है की ग्रहों की दशा में चंद्रमा को हमेशा खुश रखे।

यह ग्रह मनोविज्ञान और सात्त्विकता से प्रभावित है। अब आप माप सकते हैं कि यदि चंद्रमा का प्रभाव नकारात्मक होता है

तो ना ही मानसिक स्थिरता बनी रहती है और ना ही आपके संबंध किसी से भी सुथरांगे, सब कुछ प्रदर्शित होता है,

तो जरूरी है कि चंद्रमा की दशा में चंद्रमा हमेशा खुश रहता है। ।।

मंगल का प्रभाव

 मंगल: मंगल शक्ति, साहस, कार्यशीलता, और प्रवृत्ति का प्रतीक है। इसका प्रभाव युद्ध क्षेत्र, सेना, धार्मिक क्रियाएं और शक्ति से सम्बंधित क्षेत्रों पर पड़ता है।

इसका प्रभाव युद्ध क्षेत्र, सेना, धार्मिक क्रियाएं और शक्ति से संबंधित क्षेत्रों पर पड़ता है।

मंगल ग्रह या मंगल (Mars) सौरमंडल का चौथा ग्रह है और सूर्य से धूम्रपान ग्रहों में से एक है। यह एक पाषाणी ग्रह है जिसकी दूसरी सूखी ग्रहों की तुलना में पानी की कमी होती है।

यह एक पाषाण ग्रह है जिसके विपरीत दूसरे रंगीन चिन्ह की तुलना में पानी की कमी होती है।

मंगल का सकारात्मक प्रभाव विज्ञान और ज्योतिष दोनों में महत्वपूर्ण माना जाता है।

मंगल को आक्रमणकारी और उत्साही ग्रह माना जाता है। इसका सकारात्मक प्रभाव लोगों की उत्प्रेरण सेहनशीलता, संघर्षशीलता नई प्रेरणा के रूप में दिख सकता है।

इसका सकारात्मक प्रभाव लोगों की प्रेरणा सहनशीलता, संघर्षशीलता नई प्रेरणा के रूप में दिख सकता है।

यह भी सुझाव दिया जाता है कि इस प्रकार के गुणों का उपयोग उच्च प्रोफेशनल डोमेन, आईटी, सैन्य, खेल, निदेशक और नेतृत्व के क्षेत्रों में किया जा सकता है।

आईटी, सैन्य, खेल, निदेशक और नेतृत्व के क्षेत्रों में किया जा सकता है।

Mercury

ग्रहों का प्रभाव

ज्योतिष दृष्टिकोण से: मंगल ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है।

कहा जाता है कि मंगल ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति को नवीनता, उत्साह, धैर्य, साहस, शक्ति, राष्ट्रीयता और ब्रह्मचर्य जैसे गुण प्राप्त होते हैं।

यह ग्रह विवाह और संघर्ष के भौतिक और आध्यात्मिक पहलुओं में भी प्रभावशाली होता है।

बुध का सकारात्मक प्रभाव

बुध: बुध ज्ञान, विचारशीलता, बुद्धिमत्ता और संचार के साथ जुड़ा होता है। इसका प्रभाव विद्यार्थी, विचारशील लोग, लेखक, शिक्षक और व्यापारी पर पड़ता है।

इसका प्रभाव मंत्रियों, विचारशील लोगों, लेखक, शिक्षकों और व्यापारियों पर पड़ता है।

बुध ग्रह, सौरमंडल का पांचवां ग्रह है और शुक्र और पृथ्वी के बाद धूम्रपान ग्रहों में से एक है। इसका आकार धूम्रपान ग्रहों की तुलना में सबसे छोटा है।

इसका आकार स्मोक सिग्नल की तुलना में सबसे छोटा है।

विज्ञान और ज्योतिष दोनों में महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव दिए जाएं हैं:

यहां कुछ महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव दिए गए हैं:

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से: बुध ग्रह को ज्ञान, विचारशीलता, बुद्धिमत्ता, बोलचाल की क्षमता, वाणीकरण, अभिव्यक्ति, वाणिज्यिक नवोन्मेष और तकनीकी योग्यता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।

चाल की क्षमता, वाणीकरण, अभिव्यक्ति, वाणिज्यिक नवोन्मेष और तकनीकी योग्यता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।

इसका सकारात्मक प्रभाव लोगों के संचार कौशल, बुद्धि, शिक्षा, वाणिज्य, लेखन, जर्नलिज्म और विज्ञान के क्षेत्रों में दिख सकता है।

कौशल, बुद्धि, शिक्षा, वाणिज्य, लेखन, पत्रकारिता और विज्ञान के क्षेत्र में दिख सकता है।

ज्योतिष दृष्टिकोण से: बुध ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। इसका कहा जाता है कि बुध ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति को बुद्धिमानता, विवेक, वाक्चातुर्य, बातचीती, विचारशक्ति, लेखन कौशल और अभिव्यक्ति की क्षमता मिलती है।

ऐसा कहा जाता है कि बुध ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति को बुद्धि,

विवेक, वाक्चातुर्य, बातचीत, विचारशक्ति, लेखन कौशल और अभिव्यक्ति की क्षमता मिलती है।

इसका प्रभाव बुद्धिजीवी, शिक्षक, लेखक, कथावाचक, संवाददाता, और संचार के क्षेत्रों में दिख सकता है।

धन वैभव

वाणिज्यिक प्रभाव:

बुध का प्रभाव वाणिज्यिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसका कहा जाता है कि बुध ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति को व्यापार, वित्तीय योजना, विपणन, विपणन कौशल और वाणिज्यिक महत्वपूर्ण नेटवर्किंग की क्षमता मिलती है।

इसमें कहा गया है कि बुध ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति को व्यापार, वित्तीय योजना,

विपणन, विपणन कौशल और वाणिज्यिक महत्वपूर्ण नेटवर्किंग की क्षमता मिलती है।

इसका प्रभाव व्यापारिक गतिविधियों, विपणन के क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, बाजार अनुसंधान और कारोबारी कौशल में दिख सकता है।

बाजार अनुसंधान और वाणिज्यिक कौशल में देखा जा सकता है।

 

गुरु: गुरु ज्ञान, धर्म, धर्मिक गतिविधियां, विदेशी संपर्क और शिक्षा के साथ जुड़ा होता है। यह ग्रह गुरु, आचार्य, धार्मिक नेता, शिक्षक और विदेशी यात्राएं प्रभावित करता है। गुरु का सकारात्मक प्रभाव आपको खूब तर्रकि दिला सकता है, साथ आपके जीवन को सुखमय बनाएगा।

यह ग्रह गुरु, आचार्य, धार्मिक नेता, शिक्षक और विदेशी यात्राओं को प्रभावित करता है।

गुरु का सकारात्मक प्रभाव आपको बहुत अधिक शक्ति प्रदान कर सकता है, जिससे आपके जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है।

 

शुक्र: शुक्र प्रेम, सौंदर्य, कला, सुख, धन, विवाह, और सामरिक सुखों के साथ जुड़ा होता है। इसका प्रभाव कला, संगीत, आकर्षण, सौंदर्यिकता, विवाह और अनुभवी कलाकारों पर पड़ता है। शुक्र का

इसका प्रभाव कला, संगीत, आकर्षण, सौन्दर्यता, विवाह और अनुभव कलाओं पर पड़ता है।

शुक्र का नकारतमत प्रभाव

उतनाभी भयानक नहीं होता है, जितना बाकि सभी ग्रहों का, परंतु ये अत्यंत ज़रूरी है की शुक्र को हमेशा प्रसन्न रखा जाए, इस से आपके वैवाहिक जीवन खुश रहेगा और धन की बरसात हमेशा बनी रहेगी।

कि शुक्र हमेशा बना रहता है, इससे आपके जीवन में खुशियां बनी रहती हैं और धन की किरणें हमेशा बनी रहती हैं।

 

शनि: शनि अनुशासन, कर्म, कठिनाइयाँ, धैर्य, विवेक और धार्मिकता के साथ जुड़ा होता है। इसका प्रभाव धैर्यशीलता, कर्मठता, समर्पण, आर्थिक वृद्धि और सामरिक संघर्षों पर पड़ता है। शनि का नकारात्मक प्रकोप अत्यंत भयानक होता है। यदि किसी की शनि की दशा ख़राब है तो उसके साथ कई अटपटे घटनाए हो सकतें हैं। शनि खुश रहने पर किसी भी प्रकार की समस्या नही होगी आपका जीवन सुखी होगा।

इसका प्रभाव साहस, दृढ़ता, कर्मठता, आर्थिक वृद्धि और सामरिक संघर्ष पर पड़ता है।

शनि का नकारात्मक प्रकोप अत्यंत भयानक होता है। यदि किसी की शनि की दशा ख़राब है तो उसके साथ कई अप्रत्याशित घटनाएँ हो सकती हैं।

शनि सुखी रहना किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी, आपका जीवन सुखी होगा।

 

राहू: राहू विचारशक्ति, अव्यवस्थितता, अनियंत्रितता और अस्थिरता के साथ जुड़ा होता है।

इसका प्रभाव छल, गुप्तता, रहस्यमयता, तांत्रिक और अज्ञात साधनों पर पड़ता है।

इसका प्रभाव चाल, गुप्तता, रहस्यमयता, दार्शनिक और अज्ञात संगीतकार पर आधारित है।

 

केतु: केतु उदारता, उपाय, आनंद, अज्ञान, माया और छल के साथ जुड़ा होता है।

इसका प्रभाव अध्ययन, तंत्र, उपाय, रहस्यमय साधनों और अज्ञान पर पड़ता है।

इसका प्रभाव अध्ययन, तंत्र, उपाय, रहस्यमयी गुरु और अज्ञान पर पड़ता है।

 

यदि आप व्यक्तिगत राशिफल के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं,

तो शुभ समय, अनुकूल ग्रह स्थिति, और उचित उपायों के बारे में ज्योतिषी की सलाह लेना उचित हो सकता है।

तो शुभ समय, अनुकूल ग्रह स्थिति और उपायों के बारे में ज्योतिष की सलाह ले सकते हैं।

नवग्रहों का नकारात्मक प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में मान्यता प्राप्त है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसका कोई प्रमाणित सिद्धांत नहीं है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवग्रहों की स्थिति और गतिविधियों का मानव जीवन पर प्रभाव होता है।

हालांकि, इस प्रभाव का नकारात्मक या शुभ प्रभाव व्यक्ति के जन्म ग्रह और कुंडली पर निर्भर करता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों की स्थिति और ग्रहों का मानव जीवन पर प्रभाव पड़ता है।

हालाँकि, यह प्रभाव नकारात्मक या शुभ प्रभाव व्यक्ति के जन्म ग्रह और कुंडली पर वर्जित है।

ज्योतिष शास्त्र में कहा जाता है

कि अगर नवग्रहों में किसी ग्रह की स्थिति नकारात्मक हो तो वह ग्रह उन्नति, संताप, आपातकाल, विपरीत प्रभाव, विघ्न और अवसाद जैसे परिणाम पैदा कर सकता है।

उदाहरण के तौर पर, शनि को नकारात्मक ग्रह माना जाता है और इसे धनु और मकर राशि में गोचर करते समय नकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकता है।

यह धन की हानि, स्वास्थ्य समस्याएं, कठिनाइयां और अवसाद के रूप में दिखाई दे सकता है।

नाकारात्मक रुप में शनि

नकारात्मक हो तो वह ग्रह प्रभावशाली, संताप, शैतान, विपरीत प्रभाव, विघ्न और अवसाद जैसे परिणाम पैदा कर सकता है।

उदाहरण के लिए, शनि को नकारात्मक ग्रह माना जाता है

और धनु और मकर राशि में गोचर करने से समय पर नकारात्मक प्रभाव पैदा हो सकता है।

यह धन की हानि, स्वास्थ्य ख़राब, कठिन मंदी और अवसाद के रूप में सामने आ सकता है।

नवग्रह

नवग्रह के नकारात्मक प्रभाव

हालांकि, आपको ध्यान देना चाहिए

कि यह सब केवल ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांतों पर आधारित है और इस्का कोई वैज्ञानिक समर्थन नहीं है।

वैज्ञानिक समुदायों ने इसे प्रमाणित करने के लिए कोई वैज्ञानिक आधारभूत सबूत प्रस्तुत नहीं किया है।

इसलिए, नवग्रहों के नकारात्मक प्रभाव के बारे में वैज्ञानिक रूप से कोई ज्ञान नहीं है।

और इनका कोई वैज्ञानिक समर्थन नहीं है।

वैज्ञानिक समुदाय ने इसे प्रमाणित करने के लिए कोई वैज्ञानिक वैज्ञानिक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है।

इसलिए, नवग्रहों के नकारात्मक प्रभाव के बारे में वैज्ञानिक रूप से कोई जानकारी नहीं है।

फिर भी यदि कोई समस्या रह जाती है, तो आप ज्योतिषि से सलाह लें सकतें है,

क्योंकि यदि आपके ग्रहों को नियंत्रित किया जा सकता है तो इसका उपाय केवल ज्योतिषी ही दे सकतें हैं।

तो इसका उपाय केवल ज्योतिष ही बता सकते हैं।

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