रत्न

नवग्रह और रत्न

ज्योतिष शास्त्र में, “रत्न” उन रत्नों या कीमती पत्थरों को संदर्भित करते है जिनके बारे में माना जाता है कि उनके पास कुछ ज्योतिषीय गुण होते हैं।

और किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की ऊर्जा को प्रभावित करते हैं। ये पत्थर ज्योतिष के नौ ग्रहों (नवग्रहों) से जुड़े हैं।

 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक ग्रह एक विशिष्ट पत्थरों से जुड़ा होता है,

जिसके बारे में माना जाता है कि यह इसके लाभकारी प्रभावों को बढ़ाता है या इसके हानिकारक प्रभावों को कम करता है।

पत्थरों का निर्धारण व्यक्ति की जन्म कुंडली और जन्म के समय ग्रहों की स्थिति के आधार पर किया जाता है।

जब किसी व्यक्ती पर ग्रहों का प्रभाव बहुत अधिक होता है, या जब किसी ग्रह का तेज अधिक होता है

तो उसके विनाशकारी प्रभाव को कम करने के लिए, ज्योतिष हमेशा कीमती पत्थरों का सुझाव देते हैं।

ये पत्थर ग्रहों की दशा, उनका प्रभाव देख कर ही दीया जाता है।

ग्रहों से जुड़े रत्न:–

1. रूबी (माणिक्य) : सूर्य (सूर्य) से संबंधित।

2. मोती (मोती) : चंद्रमा (चंद्र) से संबंधित।

3. लाल मूंगा (मूंगा): मंगल (मंगल) से जुड़ा हुआ है।

4. पन्ना (पन्ना) : बुध (बुध) से संबंधित।

5. पीला नीलम (पुखराज): बृहस्पति (गुरु) से जुड़ा हुआ है।

6. हीरा (हीरा): शुक्र (शुक्र) से संबंधित।

7. नीलम (नीलम): शनि (शनि) से संबद्ध।

8. हेसोनाइट (गोमेद): राहु (चंद्रमा के उत्तरी नोड) के साथ संबद्ध।

9. बिल्ली की आँख (लहसुनिया): केतु (चंद्रमा के दक्षिण नोड) के साथ संबद्ध।

 

ग्रह और रत्न में सम्बंध

मानाजाता है कि रत्न ग्रहों की नाकारात्मक ऊर्जा को ले जाते हैं,

और उन्हें गहने के रूप में पहनने या उपचारात्मक उपायों में उपयोग करने से व्यक्ति के जीवन में ग्रहों के प्रभाव में संतुलन और सामंजस्य लाने के मदद मिलती है।

किसी की कुंडली के आधार पर किसी विशेष पत्थर को पहनने की उपयुक्तता और विशिष्ट आवश्यकताओं को निर्धारित करने के लिए किसी जानकार ज्योतिषी या रत्न विशेषज्ञ से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

क्योंकि किसी विषय का जानकार ही आपको सही सलाह दे सकता है।

कई बार लोग अपने दोस्तो और परियोजनों की बातों में आ कर कोई गलत पत्थर धारण कर लेते हैं

और फिर उसका नाकारात्मक प्रभाव उन्हे झेलना पड़ता है। इस से बेहतर है की ज्योतिष से सलाह ली जाए।

ज्योतिषी शास्त्र में दुर्लभ और विचित्र पत्थरों का उपयोग

विभिन्न ग्रहों और नक्षत्रों के शुभ और अशुभ प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

ये पत्थर न केवल आभूषण के रूप में इस्तेमाल होते हैं, बल्कि उन्हें धारण करके आपको भाग्य, स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति में सहायता भी मिल सकती है।

पर सबसे जरूरी है सही पत्थरों का धारण करना।

एक व्यक्ती अपने दोस्त के विकाश से खुश होकर तय कर लेेता है की वो भी पत्थरों का प्रयोग करेगा,

पर उसने गलत पत्थरों को धारण कर लिया, और फिर क्या था धनवान होने की जगह, दरिद्रता आने लगीं।

जरूरी नहीं की जो ग्रह किसी और पर अपना असर दिखा रहें हो वो आप पर भी नाकारात्मक प्रभाव दिखाएंगे।

इसलिए अत्यंत जरुरी है सही पत्थर और सही सलाह।

 

दुर्लभ और विचित्र रत्नों के उदहारण:–

1. नीलम (Blue Sapphire): नीलम पुखराज के रूप में भी जाना जाता है।

यह शनि ग्रह के लिए मान्यता प्राप्त रत्न है और शनि के अशुभ प्रभावों को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

शनि की दशा यदी आपके जीवन को प्रभावित कर रही है तो नीलम धारण कर उनके प्रभावों को रोका जा सकता है।

शनि सबसे खतरनाक ग्रहों में से एक है, जिसका नाकारात्मक प्रभाव आपके बनते कामों को बिगाड़ सकता हैं।

 

2. माणिक (Ruby): माणिक सूर्य ग्रह के लिए मान्यता प्राप्त रत्न है।

इसे सौभाग्य, प्रेम और सेल्फ-एस्टीम में सुधार करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

ज्योतिषी सूर्य को शांत रखने के लिए माणिक के साथ साथ हर रोज़ सूर्य को जल अर्पण करने की सलाह भी देते हैं।

 

3. मोती (Pearl): मोती चंद्रमा ग्रह के लिए मान्यता प्राप्त रत्न है।

इसे मानसिक शांति, मातृत्व, समृद्धि और स्वास्थ्य में सुधार के लिए धारण किया जाता है।

चन्द्रमा आपके मानसिक संतुलन और शांति को भंग कर सकता है,

ज्योतिषी सलाह देते हैं की मोती रत्न को धारण करें इस से मानसिक सुख और समृद्धि आएगी।

महंगे रत्न

4. मूंगा (कोरल): मूंगा मंगल ग्रह के लिए मान्यता प्राप्त रत्न है।

इसे सामरिक ऊर्जा, स्वास्थ्य, सामरिक नियंत्रण और संतान सुख के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

मंगल सबसे खतरनाक ग्रह है। मंगल का नाकारात्मक प्रभाव अपके जीवन को नस्त कर सकता है,

साथ ही आपके सामरिक नियंत्रण भी खो जायेंगे।

यदी आप पर मंगल का प्रभाव बहुत अधिक है तो वो आपको अस्पताल तक पहुंचा सकता है।

ज्योतिष मंगल के प्रभावों को कम करने के लिए coral या मूंगा धारण करने की सलाह देते हैं।

 

5. पुखराज (Yellow Sapphire): पुखराज गुरु ग्रह के लिए मान्यता प्राप्त रत्न है।

यह ज्ञान, धर्म, समृद्धि और धन के लिए शुभ माना जाता है।

 

6. हीरा (Diamond): हीरा शुक्र ग्रह के लिए मान्यता प्राप्त रत्न है।

इसे प्रेम, विवाह, लक्ष्मी, सौभाग्य और सम्पत्ति को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

यह दुर्लभ और विचित्र रत्नों की केवल कुछ उदाहरण हैं और ज्योतिषी शास्त्र में अन्य भी रत्नों का उल्लेख होता है

जो अलग-अलग ग्रहों और नक्षत्रों के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं।

यह सुझाव दिया जाता है कि आप एक प्रामाणिक ज्योतिषी की सलाह लें और अपने व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर सटीक रत्नों का चयन करें।

रत्नों की विशेषताएं:–

रत्नों की विशेषताएं कई होती हैं।

ये विशेषताएं उनके प्राकृतिक गुणों, रंग, कठोरता, चमक, दुर्गमता, और मूल्यांकन के परिप्रेक्ष्य में हो सकती हैं।

यहां कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं जो अधिकांश पत्थरों में पाई जाती हैं:

 

1. प्राकृतिक गुण: पत्थरों में विभिन्न प्राकृतिक गुण होते हैं जैसे कठोरता, दुर्गमता, आदि।

ये गुण उनके शारीरिक और रासायनिक संरचना से संबंधित होते हैं।

 

2. रंग: पत्थरों की विशेषता में रंग एक महत्वपूर्ण अंश होता है। विभिन्न रत्न विभिन्न रंगों में पाए जा सकते हैं,

जैसे माणिक्य की लाल, पन्ने की हरा, नीलम की नीली, आदि।

 

3. कठोरता: पत्थरों की कठोरता उनकी मोहरता और विलयनशीलता को दर्शाती है।

कुछ रत्न magneise जैसे कठोर होते हैं जबकि कुछ सफेद वज्र जैसे कम कठोर होते हैं।

 

4. मोहरता: पत्थरों की मोहरता उनकी कठोरता और दुर्गमता को दर्शाती है।

5. चमक: पत्थरों की चमक उनकी प्रकाश का प्रमाणित अंश है।

कुछ रत्न जैसे मोती बहुत चमकदार होते हैं जबकि कुछ पत्थर जैसे अमोलायत समप्रभ इस दृष्टि से कम चमकदार होते हैं।

 

6. दुर्गमता: पत्थर की दुर्गमता उनकी तंडवीयता और टूटने की प्रतिरोधक क्षमता को दर्शाती है।

कुछ पत्थर जैसे वज्र और नीलम बहुत दुर्गम होते हैं जो उच्च प्रतिरोधक क्षमता वाले होते हैं।

 

7. मूल्यांकन: पत्थरों की मूल्यांकन कठिनता और मांग के आधार पर होती है।

पत्थरों की अनुपस्थिति, अद्यतित मार्केट और प्राकृतिक दुर्लभता इसे एक मूल्यवान वस्तु बनाते हैं।

 

यह सभी विशेषताएं मिलकर पत्थरों को मनोहारी बनाती हैं

और उन्हें एक मूल्यवान औद्योगिक और आभूषनीक मान्यता प्रदान करती हैं।

रत्नों का सकारात्मक प्रभाव

रत्नों का ज्योतिषीय शास्त्रों से गहरा संबंध होता है।

ज्योतिषी शास्त्रों में, पत्थरों को ग्रहों और नक्षत्रों के साथ जोड़कर उनके शुभाशुभ प्रभावों को निर्धारित किया जाता है।

पत्थरों का धारणा करने से व्यक्ति के जीवन में ग्रहों के दोषों को शांत करने और शुभ प्रभावों को बढ़ावा देने का विश्वास होता है।

रत्न

धन वैभव

हिन्दी ज्योतिष में नवग्रहों के लिए नौ विभिन्न रत्नों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें नवरत्न कहा जाता है।

ये नवरत्न हैं: माणिक (रत्न रत्न, माणिक्य या माणिक्यम), पुखराज (पुष्प राग),

मोती (मुक्ता), मूंगा (मूंगा रत्न), मोती (मोती रत्न), पन्ना (पन्ना), लहसुनिया (वैदर्य), गोमेद (गोमेद) और नीलम (नीलम)।

 

ज्योतिष शास्त्र में इन रत्नों को विशेष पत्थरों के साथ जोड़कर व्यक्ति की जन्मकुंडली में निर्धारित ग्रहों के साथ मेल खाते हैं।

उदाहरण के लिए, माणिक रत्न सूर्य के साथ जुड़ा होता है,

पुखराज गुरु के साथ, मोती को चद्रमा के साथ और ऐसे ही अन्य रत्न अन्य ग्रहों के साथ जुड़े होते हैं।

रत्न और ग्रह

पत्थरों को विशिष्ट ग्रहों के साथ धारण करने से ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उनके प्रभावों को शांत किया जा सकता है

और व्यक्ति को शुभता, स्वास्थ्य, समृद्धि और समान्य कल्याण की प्राप्ति हो सकती है।

इसलिए, ज्योतिषी शास्त्र के अनुसार रत्नों का उपयोग उनकी कुंडली के अनुरूप ग्रहों के प्रभाव को बढ़ाने या नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

पत्थरों को वैज्ञानिक रूप से कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं माना जाता है।

हालांकि, धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुछ लोग विशेष पत्थरों के धारण को सकारात्मक प्रभाव देने का मानते हैं।

इन पत्थरों को धारण करने का कहा जाता है कि यह भाग्य, स्वास्थ्य, सौभाग्य, और मनोभाव में सुधार कर सकते हैं।

 

व्यापारिक दृष्टिकोण से देखें तो, पत्थरों की मूल्य और मांग इनकी उपस्थिति पर निर्भर करती है।

कुछ पत्थर™ धारण के लिए बहुत मूल्यवान माने जाते हैं, और इसलिए वे आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

 

इन सभी विचारधाराओं को यथार्थ तथ्य के रूप में स्वीकारना या खारिज करना व्यक्ति के आपसी विश्वास और धारणाओं पर निर्भर करेगा।

इसलिए, पत्थरों के सकारात्मक प्रभाव के विषय में अलग-अलग मत हो सकते हैं और इसे व्यक्ति के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।

क्या रत्नों से कोई नाकारात्मक प्रभाव हो सकतें हैं?

रत्नों के बारे में विभिन्न धार्मिक और धार्मिक विश्वासों में मान्यताएं हैं, जिसमें यह कहा जाता है कि रत्नों का धार्मिक, आयुर्वेदिक और ज्योतिषीय महत्व होता है।

विभिन्न रत्नों को धारण करने से आपकी भाग्यशाली और सकारात्मक ऊर्जा में सुधार हो सकता है, लेकिन इसका कोई नाकारात्मक प्रभाव सिद्ध नहीं हुआ है।

 

हालांकि, कुछ लोग पत्थरों के उपयोग से जुड़े विश्वासों को लेकर भ्रमित हो सकते हैं और यह धार्मिक या आयुर्वेदिक चिकित्सा के परिप्रेक्ष्य में विचार किया जाना चाहिए। ध्यान देने योग्य बात है कि पत्थरों का उपयोग वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हुआ है और इसके विशिष्ट प्रभाव के बारे में वैज्ञानिक संदर्भ या सिद्धांत नहीं हैं।

रत्न

नाकारात्मक प्रभाव

संक्षेप में कहें तो, पत्थरों उपयोग आपके व्यक्तिगत विश्वास और धार्मिक परंपराओं पर आधारित होता है।

इसलिए, यदि आप पत्थरों का उपयोग करना चाहते हैं,

तो उससे पहले इसके पीछे के धार्मीक, आयुर्वेदिक या ज्योतिषीय विचारों को समझें और एक विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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