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Baglamukhi Chalisa | बगलामुखी चालीसा
बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa) देवी बगलामुखी को समर्पित है, जो घर की रक्षक हैं। गीत उसकी बुद्धि और शक्ति के लिए उसकी प्रशंसा करता है, और उसे घर के निवासियों पर नज़र रखने और उन्हें नुकसान से बचाने के लिए कहता है। माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं, या देवी के रूप हैं।
इन्हें पीतांबरा और ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है और इनकी पूजा पीले रंग के प्रयोग पर केंद्रित है। माँ बगलामुखी शक्ति के स्तंभ बनाने और बनाए रखने की उनकी शक्ति के लिए विशेष रूप से पूजनीय हैं।
॥ दोहा बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa)॥
सिर नवाइ बगलामुखी,लिखूँ चालीसा आज।
कृपा करहु मोपर सदा,पूरन हो मम काज॥
॥ चौपाई बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa)॥
जय जय जय श्री बगला माता।आदिशक्ति सब जग की त्राता॥
बगला सम तब आनन माता।एहि ते भयउ नाम विख्याता॥
शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी।अस्तुति करहिं देव नर-नारी॥
पीतवसन तन पर तव राजै।हाथहिं मुद्गर गदा विराजै॥
तीन नयन गल चम्पक माला।अमित तेज प्रकटत है भाला॥
रत्न-जटित सिंहासन सोहै।शोभा निरखि सकल जन मोहै॥
आसन पीतवर्ण महारानी।भक्तन की तुम हो वरदानी॥
पीताभूषण पीतहिं चन्दन।सुर नर नाग करत सब वन्दन॥
एहि विधि ध्यान हृदय में राखै।वेद पुराण सन्त अस भाखै॥
अब पूजा विधि करौं प्रकाशा।जाके किये होत दुख-नाशा॥
प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै।पीतवसन देवी पहिरावै॥
कुंकुम अक्षत मोदक बेसन।अबिर गुलाल सुपारी चन्दन॥
माल्य हरिद्रा अरु फल पाना।सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना॥
धूप दीप कर्पूर की बाती।प्रेम-सहित तब करै आरती॥
अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे।पुरवहु मातु मनोरथ मोरे॥
मातु भगति तब सब सुख खानी।करहु कृपा मोपर जनजानी॥
त्रिविध ताप सब दु:ख नशावहु।तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु॥
बार-बार मैं बिनवउँ तोहीं।अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं॥
पूजनान्त में हवन करावै।सो नर मनवांछित फल पावै॥
सर्षप होम करै जो कोई।ताके वश सचराचर होई॥
तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै।भक्ति प्रेम से हवन करावै॥
दु:ख दरिद्र व्यापै नहिं सोई।निश्चय सुख-संपति सब होई॥
फूल अशोक हवन जो करई।ताके गृह सुख-सम्पत्ति भरई॥
फल सेमर का होम करीजै।निश्चय वाको रिपु सब छीजै॥
गुग्गुल घृत होमै जो कोई।तेहि के वश में राजा होई॥
गुग्गुल तिल सँग होम करावै।ताको सकल बन्ध कट जावै॥
बीजाक्षर का पाठ जो करहीं।बीजमन्त्र तुम्हरो उच्चरहीं॥
एक मास निशि जो कर जापा।तेहि कर मिटत सकल सन्तापा॥
घर की शुद्ध भूमि जहँ होई।साधक जाप करै तहँ सोई॥
सोइ इच्छित फल निश्चय पावै।जामे नहिं कछु संशय लावै॥
अथवा तीर नदी के जाई।साधक जाप करै मन लाई॥
दस सहस्र जप करै जो कोई।सकल काज तेहि कर सिधि होई॥
जाप करै जो लक्षहिं बारा।ताकर होय सुयश विस्तारा॥
जो तव नाम जपै मन लाई।अल्पकाल महँ रिपुहिं नसाई॥
सप्तरात्रि जो जापहिं नामा।वाको पूरन हो सब कामा॥
नव दिन जाप करे जो कोई।व्याधि रहित ताकर तन होई॥
ध्यान करै जो बन्ध्या नारी।पावै पुत्रादिक फल चारी॥
प्रातः सायं अरु मध्याना।धरे ध्यान होवै कल्याना॥
कहँ लगि महिमा कहौं तिहारी।नाम सदा शुभ मंगलकारी॥
पाठ करै जो नित्य चालीसा।तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा॥
॥ दोहा बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa)॥
सन्तशरण को तनय हूँ,कुलपति मिश्र सुनाम।
हरिद्वार मण्डल बसूँ,धाम हरिपुर ग्राम॥
उन्नीस सौ पिचानबे सन् की,श्रावण शुक्ला मास।
चालीसा रचना कियौं,तव चरणन को दास॥
माँ बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa) एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो व्यक्ति को सभी प्रकार की परेशानियों और शत्रुओं से बचाती है। बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa) को पढ़कर आप ब्रह्मांड की देवी बगलामुखी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, तो बगलामुखी चालीसा की सहायता का आह्वान करने से आपको उन पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
माँ बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa) का पाठ साधक के भीतर से भय को नष्ट करने में मदद कर सकता है, जबकि बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa) का पाठ साहस और आत्मविश्वास का संचार कर सकता है।
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