LYRIC
Bhairav Chalisa | भैरव चालीसा
भैरव चालीसा (Bhairav Chalisa), भगवान भैरव पर आधारित एक भक्ति गीत है। भैरव बाबा की पूजा से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। शिवपुराण में इन्हें भगवान शिव का पूर्ण रूप बताया गया है। भैरव चालीसा (Bhairav Chalisa) एक बहुत ही शुभ गीत है और भगवान भैरव की पूजा के दौरान गाया जाता है।
भैरव या भैरोनाथ गोरखनाथ के शिष्य थे, और उनके गुरु मत्स्येंद्रनाथ थे। ऐसा माना जाता था कि वह सभी तांत्रिक क्षमताओं के नियंत्रण में था और उसे अपनी शक्ति पर गर्व था। वह छोटी बच्ची समझकर वैष्णो देवी के पास गया, लेकिन वह देवी निकली। वह उसकी शक्ति से अभिभूत हो गया और अपने घुटनों पर गिरकर क्षमा की भीख माँगने लगा।
॥ दोहा भैरव चालीसा (Bhairav Chalisa)॥
श्री भैरव सङ्कट हरन,मंगल करन कृपालु।
करहु दया जि दास पे,निशिदिन दीनदयालु॥
॥ चौपाई भैरव चालीसा (Bhairav Chalisa)॥
जय डमरूधर नयन विशाला।श्याम वर्ण, वपु महा कराला॥
जय त्रिशूलधर जय डमरूधर।काशी कोतवाल, संकटहर॥
जय गिरिजासुत परमकृपाला।संकटहरण हरहु भ्रमजाला॥
जयति बटुक भैरव भयहारी।जयति काल भैरव बलधारी॥
अष्टरूप तुम्हरे सब गायें।सकल एक ते एक सिवाये॥
शिवस्वरूप शिव के अनुगामी।गणाधीश तुम सबके स्वामी॥
जटाजूट पर मुकुट सुहावै।भालचन्द्र अति शोभा पावै॥
कटि करधनी घुँघरू बाजै।दर्शन करत सकल भय भाजै॥
कर त्रिशूल डमरू अति सुन्दर।मोरपंख को चंवर मनोहर॥
खप्पर खड्ग लिये बलवाना।रूप चतुर्भुज नाथ बखाना॥
वाहन श्वान सदा सुखरासी।तुम अनन्त प्रभु तुम अविनाशी॥
जय जय जय भैरव भय भंजन।जय कृपालु भक्तन मनरंजन॥
नयन विशाल लाल अति भारी।रक्तवर्ण तुम अहहु पुरारी॥
बं बं बं बोलत दिनराती।शिव कहँ भजहु असुर आराती॥
एकरूप तुम शम्भु कहाये।दूजे भैरव रूप बनाये॥
सेवक तुमहिं तुमहिं प्रभु स्वामी।सब जग के तुम अन्तर्यामी॥
रक्तवर्ण वपु अहहि तुम्हारा।श्यामवर्ण कहुं होई प्रचारा॥
श्वेतवर्ण पुनि कहा बखानी।तीनि वर्ण तुम्हरे गुणखानी॥
तीनि नयन प्रभु परम सुहावहिं।सुरनर मुनि सब ध्यान लगावहिं॥
व्याघ्र चर्मधर तुम जग स्वामी।प्रेतनाथ तुम पूर्ण अकामी॥
चक्रनाथ नकुलेश प्रचण्डा।निमिष दिगम्बर कीरति चण्डा॥
क्रोधवत्स भूतेश कालधर।चक्रतुण्ड दशबाहु व्यालधर॥
अहहिं कोटि प्रभु नाम तुम्हारे।जयत सदा मेटत दुःख भारे॥
चौंसठ योगिनी नाचहिं संगा।क्रोधवान तुम अति रणरंगा॥
भूतनाथ तुम परम पुनीता।तुम भविष्य तुम अहहू अतीता॥
वर्तमान तुम्हरो शुचि रूपा।कालजयी तुम परम अनूपा॥
ऐलादी को संकट टार्यो।साद भक्त को कारज सारयो॥
कालीपुत्र कहावहु नाथा।तव चरणन नावहुं नित माथा॥
श्री क्रोधेश कृपा विस्तारहु।दीन जानि मोहि पार उतारहु॥
भवसागर बूढत दिनराती।होहु कृपालु दुष्ट आराती॥
सेवक जानि कृपा प्रभु कीजै।मोहिं भगति अपनी अब दीजै॥
करहुँ सदा भैरव की सेवा।तुम समान दूजो को देवा॥
अश्वनाथ तुम परम मनोहर।दुष्टन कहँ प्रभु अहहु भयंकर॥
तम्हरो दास जहाँ जो होई।ताकहँ संकट परै न कोई॥
हरहु नाथ तुम जन की पीरा।तुम समान प्रभु को बलवीरा॥
सब अपराध क्षमा करि दीजै।दीन जानि आपुन मोहिं कीजै॥
जो यह पाठ करे चालीसा।तापै कृपा करहु जगदीशा॥
॥ दोहा भैरव चालीसा (Bhairav Chalisa)॥
जय भैरव जय भूतपति,जय जय जय सुखकंद।
करहु कृपा नित दास पे,देहुं सदा आनन्द॥
श्री भैरव देव जी का रूप भयानक है, लेकिन जो कोई भी सच्चे मन से उनकी पूजा करता है, वह अपनी रक्षा करने की जिम्मेदारी लेता है। वह हमेशा अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। श्री भैरव चालीसा (Bhairav Chalisa) एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो आपके रास्ते में आने वाली सभी परेशानियों और विपत्तियों को दूर कर सकती है। श्री भैरव जी की पूजा और चालीसा का पाठ करने से आप जीवन में शांति और सुरक्षा की भावना प्राप्त कर सकते हैं।
श्री भैरव चालीसा (Bhairav Chalisa) का सच्चे मन से पाठ करने से बहुत प्रभाव पड़ता है। यह साधक को अष्ट सिद्धि नौ निधि प्राप्त करने में मदद कर सकता है। श्री भैरव चालीसा (Bhairav Chalisa) का पाठ भय और आत्मविश्वास से मुक्ति दिलाता है। यह किसी के जीवन में साहस और निडरता की भावना को प्रेरित करता है।
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