LYRIC
Mahalakshmi Chalisa | महालक्ष्मी चालीसा
महालक्ष्मी चालीसा (Mahalakshmi Chalisa) 40 श्लोकों से बनी एक प्रार्थना है जिसे महालक्ष्मी माता के भक्त मनोकामना पूर्ति के लिए पढ़ते हैं। चालीसा को धन और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी माता की कहानी पर आधारित कहा जाता है। सकारात्मक बदलाव लाने और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए चालीसा विशेष रूप से प्रभावशाली मानी जाती है।
माता महालक्ष्मी मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य के बेलूर शहर में स्थित है। यह धन और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी को समर्पित है और भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है। अनुमान है कि मंदिर का निर्माण कन्नड़ के चालुक्य साम्राज्य या लगभग 700 ईस्वी के दौरान हुआ था। यहां के लोगों का मानना है कि महाविष्णु इस स्थान पर महालक्ष्मी के साथ निवास करते हैं और सार्वजनिक अनुष्ठान करते हैं।

महालक्ष्मी चालीसा (Mahalakshmi Chalisa)
॥ दोहा महालक्ष्मी चालीसा (Mahalakshmi Chalisa)॥
जय जय श्री महालक्ष्मी,करूँ मात तव ध्यान।
सिद्ध काज मम किजिये,निज शिशु सेवक जान॥
॥ चौपाई महालक्ष्मी चालीसा (Mahalakshmi Chalisa)॥
नमो महा लक्ष्मी जय माता।तेरो नाम जगत विख्याता॥
आदि शक्ति हो मात भवानी।पूजत सब नर मुनि ज्ञानी॥
जगत पालिनी सब सुख करनी।निज जनहित भण्डारण भरनी॥
श्वेत कमल दल पर तव आसन।मात सुशोभित है पद्मासन॥
श्वेताम्बर अरू श्वेता भूषण।श्वेतही श्वेत सुसज्जित पुष्पन॥
शीश छत्र अति रूप विशाला।गल सोहे मुक्तन की माला॥
सुंदर सोहे कुंचित केशा।विमल नयन अरु अनुपम भेषा॥
कमलनाल समभुज तवचारि।सुरनर मुनिजनहित सुखकारी॥
अद्भूत छटा मात तव बानी।सकलविश्व कीन्हो सुखखानी॥
शांतिस्वभाव मृदुलतव भवानी।सकल विश्वकी हो सुखखानी॥
महालक्ष्मी धन्य हो माई।पंच तत्व में सृष्टि रचाई॥
जीव चराचर तुम उपजाए।पशु पक्षी नर नारी बनाए॥
क्षितितल अगणित वृक्ष जमाए।अमितरंग फल फूल सुहाए॥
छवि विलोक सुरमुनि नरनारी।करे सदा तव जय-जय कारी॥
सुरपति औ नरपत सब ध्यावैं।तेरे सम्मुख शीश नवावैं॥
चारहु वेदन तब यश गाया।महिमा अगम पार नहिं पाये॥
जापर करहु मातु तुम दाया।सोइ जग में धन्य कहाया॥
पल में राजाहि रंक बनाओ।रंक राव कर बिमल न लाओ॥
जिन घर करहु माततुम बासा।उनका यश हो विश्व प्रकाशा॥
जो ध्यावै से बहु सुख पावै।विमुख रहे हो दुख उठावै॥
महालक्ष्मी जन सुख दाई।ध्याऊं तुमको शीश नवाई॥
निज जन जानीमोहीं अपनाओ।सुखसम्पति दे दुख नसाओ॥
ॐ श्री-श्री जयसुखकी खानी।रिद्धिसिद्ध देउ मात जनजानी॥
ॐह्रीं-ॐह्रीं सब व्याधिहटाओ।जनउन विमल दृष्टिदर्शाओ॥
ॐक्लीं-ॐक्लीं शत्रुन क्षयकीजै।जनहित मात अभय वरदीजै॥
ॐ जयजयति जयजननी।सकल काज भक्तन के सरनी॥
ॐ नमो-नमो भवनिधि तारनी।तरणि भंवर से पार उतारनी॥
सुनहु मात यह विनय हमारी।पुरवहु आशन करहु अबारी॥
ऋणी दुखी जो तुमको ध्यावै।सो प्राणी सुख सम्पत्ति पावै॥
रोग ग्रसित जो ध्यावै कोई।ताकी निर्मल काया होई॥
विष्णु प्रिया जय-जय महारानी।महिमा अमित न जाय बखानी॥
पुत्रहीन जो ध्यान लगावै।पाये सुत अतिहि हुलसावै॥
त्राहि त्राहि शरणागत तेरी।करहु मात अब नेक न देरी॥
आवहु मात विलम्ब न कीजै।हृदय निवास भक्त बर दीजै॥
जानूं जप तप का नहिं भेवा।पार करो भवनिध वन खेवा॥
बिनवों बार-बार कर जोरी।पूरण आशा करहु अब मोरी॥
जानि दास मम संकट टारौ।सकल व्याधि से मोहिं उबारौ॥
जो तव सुरति रहै लव लाई।सो जग पावै सुयश बड़ाई॥
छायो यश तेरा संसारा।पावत शेष शम्भु नहिं पारा॥
गोविंद निशदिन शरण तिहारी।करहु पूरण अभिलाष हमारी॥
॥ दोहा महालक्ष्मी चालीसा (Mahalakshmi Chalisa)॥
महालक्ष्मी चालीसा,पढ़ै सुनै चित लाय।
ताहि पदारथ मिलै,अब कहै वेद अस गाय॥
शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। आप उन्हें कमल के फूल, गुलाब, कमलगट्टा, बताशा, खीर, कुमकुम और अन्य फल और मिठाई अर्पित करें और पूजा के दौरान श्री महालक्ष्मी चालीसा (Mahalakshmi Chalisa) का पाठ करें। देवी महालक्ष्मी की सहायता से, आप सुख, संतान, धन और संपत्ति सहित सभी मनोकामनाएं प्राप्त कर सकते हैं।
महालक्ष्मी एक देवी हैं जो सभी चीजों में सफलता सुनिश्चित करती हैं। महालक्ष्मी चालीसा (Mahalakshmi Chalisa) आपके सामने आने वाली किसी भी वित्तीय कठिनाइयों को दूर करने में आपकी मदद करने में सक्षम है, और आपके लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी आपकी मदद कर सकती है। आप चाहें तो उनकी कृपा पाने के लिए प्रतिदिन श्री महालक्ष्मी चालीसा (Mahalakshmi Chalisa) का पाठ कर सकते हैं।
माता लक्ष्मी के आठ रूप हैं, जो सभी उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं के नाम पर रखे गए हैं। वे आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धन्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतनलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी और विद्यालक्ष्मी हैं।
No comments yet