Chhath Puja Vrat Katha 2023 | प्रसिद्ध छठ व्रत कथा और पूजा विधि - Gyan.Gurucool
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(Chhath Puja Vrat Katha) छठ व्रत कथा

 

Chhath Vrat Katha

 

(Chhath Puja Vrat Katha) शाम के समय में जब सूर्य देव अस्त होते हैं
तो व्रती पानी में खड़े होकर उनको अर्ध्य देते हैं
और अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
इसके बाद रात्रि के समय में जागरण किया जाता है।
छठी मइया की कथा सुनने से मनोकामनाएं पूरी होती है। 

Chhath Vrat Katha

कौन है छठ मइया  

छठी मइया को सूर्य देव की बहन और ब्रह्म देव की मानस पुत्री माना जाता है।
इनका नाम षष्ठ
मइया है इन्हें आम बोलचाल की भाषा में छठी मइया कहते हैं।
छठ पूजा में सूर्य देव के साथ इस देवी का पूजन करते हैं
एक प्रकार से सूर्य देव और छठ मइया भाई बहन हुए। 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारम्भ की तो उन्होंने अपने शरीर के दो हिस्से किए।
दायां भाग पुरुष और बायां भाग प्रकृति।

प्रकृति के छठे भाग से षष्ठी देवी की उत्पत्ति हुई। इनको देवसेना भी कहा जाता है।
जो व्यक्ति षष्ठी देवी की पूजा करता है
उसकी मन की मुराद जरूर पूरी होती है। 

Chhath Vrat Katha

Chhath Puja Fast Story | छठ पूजा व्रत कथा

 एक समय की बात है एक राजा प्रियवंद थे, जिनकी पत्नी का नाम मालिनी था।
विवाह के काफी वर्ष बीतने के बाद भी उनको कोई संतान नहीं हुई।
तब उन्होंने कश्यप ऋषि से इसका समाधान पूछा तो उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराने का सुझाव दिया।
कश्यप ऋषि ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया और राजा की पत्नी मालिनी को प्रसाद स्वरूप खीर खाने को दिया।

इसके प्रभाव से रानी गर्भवती हुई। जिससे राजा बड़े प्रसन्न हुए। कुछ समय बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया लेकिन वह भी मृत अवस्था में पैदा हुआ।
यह खबर सुनकर राजा बहुत दुखी हुए। वे पुत्र के शव को लेकर श्मशान गए और इस दुःख के कारण अपने भी प्राण त्यागने का निश्चय किया। 

जब वे अपने प्राण त्यागने जा रहे थे तभी देवसेना प्रकट हुई उन्होंने राजा प्रियव्ंद से कहा कि उनका नाम षष्ठी है।
हे राजन्! तुम मेरी पूजा करो और दूसरों को भी मेरी पूजा करने को कहो। तब तुम्हारे सभी मनोरथ पूर्ण होंगे। 

देवी देवसेना की आज्ञानुसार राजा प्रियवंद ने कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को (Chhath Puja) छठ पूजा की।
उन्होंने यह पूजा पुत्र प्राप्ति की कामना से की थी (Chhath Puja Vrat Katha ) छठी मैया के शुभ आशीर्वाद से राजा प्रियवंद को पुत्र की प्राप्ति हुई।
तब से हर साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ पूजा की जाने लगी। 

जो भी व्यक्ति जिस मनोकामना के साथ  (Chhath Puja)छठ पूजा का व्रत रखता है और उसे विधि विधान से पूरा करता है।
(Chhath Vrat Katha)छठी मैया के आशीष से उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है
लोग पुत्र प्राप्ति और संतान के सुख जीवन के लिए यह व्रत रखते हैं। 

Chhath Puja | छठ पूजा कहाँ की प्रसिद्ध हैं

 

सूर्योपासना का यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।
(chaath pooja)छठ पर्व बिहार में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

यह एकमात्र बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है।
और यह बिहार की संस्कृति बन चुका है।
यह पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति की एक छोटी सी झलक दिखाता है।
यह पर्व मुख्य रूप से ऋषियों द्वारा लिखी गई ऋग्वेद में सूर्य पूजन, उषा पूजन और
आर्य परंपरा के अनुसार बिहार में मनाया जाता है।

(Chhath Puja Vrat Katha )छठ पूजा सूर्य , प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन (Chhath Puja Vrat Katha )छठी मइया को समर्पित है
ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन की देवताओं को बहाल करने के लिए धन्यवाद कहा जा सके। इसे मिथिला में ‘रनबे माय’ भी कहा जाता है  ।
‘भोजपुरी में सबिता माई ‘ कहा जाता है। और बंगाली में ‘रनबे ठाकुर ‘कहा जाता है।
काली पूजा के छह दिन बाद (Chhath Puja Vrat Katha )छठ पूजा की जाती है।

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