% मां ब्रह्मचारिणी की कथा : Unveiling the story of Maa Brahmacharini
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मां ब्रह्मचारिणी की कथा

Maa Brahmachaarini

 

 

नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini)देवी को पूजा जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से व्यक्ति को त्याग, सदाचार, और संयम की प्राप्ति होती है।
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने वाले मनुष्य अपने हर कार्य में सफलता पाते हैं,
ये जीवन में जिस बात का संकल्प कर लेते हैं उसे अवश्य पूरा करते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरी पूजनीय शक्ति है। अपर्णा और उमा देवी ब्रह्मचारिणी के विभिन्न नाम हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी मनुष्य नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणीकी उपासना करता है उसके जीवन में आने वाली सारी रुकावटें दूर हो जाती हैं और उसे हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। इसके अलावा उसके जीवन की सारी परेशानियों का नाश होता है। मां ब्रह्मचारिणी को भोग में चीनी अर्पित करनी चाहिए।

 

Maa Brahmacharini का स्वरूप

 

मां  के अन्य प्रसिद्ध नाम है- शिवस्वरूपा, नारायणी, विशनुमाया। (Maa Brahmacharini) साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है क्योंकि इन्होने भगवान शिव को पाने के लिए कठिन तपस्या की थी इसलिए ये तपस्या का मूर्तिमान रूप है। मां  के दाहिने हाथ में जप की माला होती है और बाएं हाथ में कमंडल रहता है।

 

Maa Brahmacharini की कथा

 

मां  ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की। इतनी कठिन तपस्या के कारण ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। माता ब्रह्मचारिणी ने तपस्या के दौरान 1000 वर्षों तक केवल फल खाया और 100 वर्षों तक जमीन पर रहकर सब्जियों पर जीवित रहीं।

Maa Brahmacharini ने कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहती रहीं। माता ने 3000 वर्षों तक सिर्फ बेलपत्र खाए और भगवान शंकर का ध्यान करती रही। 3000 वर्षों तक तपस्या करने के बाद देवी ने बेलपत्र खाना भी छोड़ दिए और कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर घोर तपस्या करती रही।

मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini)ने पत्तों को भी खाना छोड़ दिया था इसलिए इनका नाम अपर्णा पड़ गया। जब मां ब्रह्मचारिणी  ने इतनी तपस्या करी तो उनका शरीर क्षीण गया था तब सभी देवता, ऋषि मुनि ने देवी ब्रह्मचारिणी की तपस्या को एक पुण्य कृत्य बताया और उनकी तपस्या की सराहना की। सभी देवताओं ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि देवी आपकी मनोकामना पूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलेश्वर आपको पति के रूप में मिलेंगे।

 

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

 

  • देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात मां ब्रह्मचारिणी का स्मरण करें
  • इसके बाद उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें। पूजा करते समय अपने हाथों में फूल ले और मां से अपनी मनोकामना कहें।
  • इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर उन्हें सुहाग की सामग्री भेंट करें।
  • देवी ब्रह्मचारिणी को फूल अक्षत कुमकुम सिंदूर अर्पित करें।
  • देवी ब्रह्मचारिणी को कमल का फूल चढ़ाएं और मंत्रों का जाप करें।
  • इसके बाद माता को मिष्ठान का भोग लगाएं और घी का दीपक और कपूर से मां की आरती करें।

 

(Maa Brahmacharini) का महत्व

 

ब्रह्मा शब्द का शाब्दिक अर्थ है “शुद्ध”, “तपस्या” या “तपस्या”, जबकि चारिणी एक महिला भक्त या अनुयायी को दर्शाती है।

ब्रह्मचारिणी का अर्थ है “एक महिला जो तपस्या करती है”।

 

ब्रह्मचारिणी शब्द का एक अन्य अर्थ “ब्रह्मचर्य” शब्द से लिया जा सकता है जिसका अर्थ है-

एकांत में जीवन जीना।मां ब्रह्मचारिणी ज्यादातर समय ध्यान करती हैं, इसलिए यह दिन ध्यान करने के लिए एक उत्कृष्ट दिन है।

 

माँ ब्रह्मचारिणी उन व्यक्तियों को प्रेम, सफलता, ज्ञान और ज्ञान प्रदान करती हैं जो व्रत करते हैं, मंत्र पढ़ते हैं और भक्ति साधना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की ईमानदारी से प्रार्थना करने से भक्तों को अपनी इंद्रियों पर काबू पाने, अपने लक्ष्यों को महसूस करने और अंत में मोक्ष या ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता मिल सकती है।

ब्रह्मचारिणी देवी अपने अनुयायियों के कष्टों को दूर करती हैं क्योंकि उन्होंने कठिन तपस्या की थी। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, माँ ब्रह्मचारिणी त्रिक चक्र या स्वाधिष्ठान चक्र को नियंत्रित करती हैं, जो रचनात्मकता, अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास से संबंधित है। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने और अपने पवित्र चक्र को सक्रिय करने के लिए, आप देवी माँ ब्रह्मचारिणी से जुड़े मंत्र का जाप कर सकते हैं।

मंत्र इस प्रकार है “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”

 

 

मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) का मंत्र

 

वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

 

 

मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) कवच

 

त्रिपुरा में हृदयेपातुललाटेपातुशंकरभामिनी।
अर्पणासदापातुनेत्रोअर्धरोचकपोलो॥
पंचदशीकण्ठेपातुमध्यदेशेपातुमहेश्वरी॥
षोडशीसदापातुनाभोगृहोचपादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातुब्रह्मचारिणी॥

 

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