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(maa durga or sher katha ka mehtav)/माँ दुर्गा और शेर की कथा का महत्व
(maa durga or sher)शत्रुओं का संहार करने वाली जगत जननी आद्यशक्ति माँ दुर्गा अपनी शरण में आने हर भक्त की रक्षा करती है, उनकी कामना पूरी करती है।
माँ दुर्गा भवानी शेर की सवारी करती है। वैसे तो नवरात्र के नौ दिनों तक माँ दुर्गा के विभिन्न नौ रूपों की अलग-अलग पूजा आरधना की जाती है
और शास्त्रों में सभी नौ रूपों के वाहन भी अलग-अलग बताएं गए है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि जंगल का राजा कहा जाने वाला शेर आखिर माँ दुर्गा का वाहव कैसे और क्यों बना,
नहीं तो जानें शेर की माँ दुर्गा का वाहव बनने की अद्भूत कथा।
जगत माता आद्यशक्ति माँ दुर्गा भवानी का वाहन भी जंगल के राजा शेर की सवारी करती हुई बताया गया है।
उस शेर ने माता पार्वती को देखा औऱ सोचने लगा की मैं इसे खाकर अपने पेट की भूख मिला लूंगा।
इस आशा के साथ वह वहीं बैठ गया।
जब पार्वती ने देखा कि शेर भी उनकी काफी समय से प्रतीक्षा कर रहा था तो वे उस पर अति प्रसन्न हो गई।
(maa durga or sher katha manokamna purn krne wali )/माँ दुर्गा और शेर कथ मनोकामना पूर्ण करने वाली )
माता पार्वती ने शेर की इस प्रतीक्षा को तपस्या के समान ही माना
और शेर को प्रसन्न होकर सदैव अपने वाहन के रूप में अपने साथ रहने का आशीर्वाद दे दिया। तभी से(maa durga or sher) शेर माँ दुर्गा का वाहन बन गया।
शास्त्रों में शेर को शक्ति, भव्यता, विजय का प्रतीक माना जाता है।
इसलिए कहा जाता है कि जो भी भक्त माता की शरण में जाता है,
माँ दुर्गा भवानी उसकी सदैव रक्षा करती है और मनोकामना पूरी कर देती है।
(maa durga or sher dusri katha) माँ दुर्गा और शेर दूसरी कथा
लेकिन मां दुर्गा को शेरावाली के नाम से पुकारने के पीछे एक कथा भी प्रचलित है।
इस कथा के अनुसार –
इस तपस्या का तेज इतना अधिक था कि मां पार्वती का गोरा रंग सांवला पड़ गया था।
लेकिन तपस्या सफल हुई और मां पार्वती को भगवान शिव, पति के रूप में प्राप्त हुए।
भगवान शिव ने हास्य बोध में मां पार्वती के रंग को देख उन्हें ‘काली’ कहकर पुकारा।
माँ दुर्गा और शेर की कथा
लेकिन वह शेर चुपचाप वहां बैठकर तपस्या कर रही माता को देखता रहा।
जब माता पार्वती की इस तपस्या को खत्म करने वहां भगवान शिव पहुंचे और उन्हें फिर गोरा होने का वरदान दिया,
तब मां पार्वती गंगा स्नान के लिए चली गईं।
उस काली देवी के निकलते ही माता पार्वती एक बार फिर गोरी हो गईं और इस काले रंग की माता नाम कौशिकी पड़ा।
जब मां पार्वती का रंग गोरा हुआ तो माता पार्वती को एक और नाम मिला, जिसे उनके भक्त गौरी नाम से जानते हैं।
इस बात से प्रसन्न होकर माता गौरी ने उस शेर को अपना वाहन बना लिया
और वे शेर पर सवार हुर्इं।यही कारण है कि मां दुर्गा को शेरावाली कहा जाने लगा।
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