Mangala Gauri Vrat Katha |मंगला गौरी व्रत कथा की प्रसिद्धी - Gyan.Gurucool
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मंगला गौरी व्रत कथा२०२३ \(Mangala Gauri Vrat Katha)

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(Importance of Mangla Gauri Katha)\मंगला गौरी कथा का महत्व

(mangla gauri) भगवान शिव को समर्पित सावन के महीने में प्रत्येक सोमवार का जितना महत्व है
उतना ही सावन में पड़ने वाले मंगलवार का भी महत्व है,क्योंकि यह दिन देवी पार्वती की पूजा-अर्चना को समर्पित है।
इस साल
सावन का पहला (mangla gauri)मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई को पड़ रहा है।
ज्योतिष मान्यता के अनुसार इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग होने से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है।

मां (mangla gauri) मंगला गौरी देवी दुर्गा माता पार्वती का ही मंगलकारी स्वरूप है।
इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी के नाम से भी जाना जाता है।
(mangla gauri) मंगला गौरी व्रत दाम्पत्य जीवन में प्रेम,खुशहाली और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।
इसी कामना के साथ सुहागन स्त्रियां सावन में इस व्रत को विधि-विधान के साथ रखती हैं और देवी पार्वती का आशीर्वाद लेती हैं।

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(Mangla Gauri Vrat Katha)\मंगला गौरी व्रत कथा

पौराणिक  कथा के अनुसार, पुराने समय में एक धर्मपाल नाम का सेठ था|
उसके पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी, बस कमी थी तो संतान की. इस वजह से सेठ और उसकी पत्नी काफी परेशान रहते थे|
संतान प्राप्ति के लिए सेठ ने कई जप-तप, ध्यान और अनुष्ठान किए, जिससे देवी प्रसन्न हुईं और सेठ से मनचाहा वर मांगने को कहा|
तब सेठ ने कहा कि मां मैं सर्वसुखी और धनधान्य से समर्थ हूं, परंतु मैं संतानसुख से वंचित हूं  मैं आपसे वंश चलाने के लिए एक पुत्र का वरदान मांगता हूं|

सेठ की बात सुनकर देवी ने कहा सेठ तुमने बहुत ही  कठिन वरदान मांगा है|
पर मैं तुम्हारे तप से प्रसन्न हूं इसलिए मैं तुम्हें वरदान तो दे देती हूं कि तुम्हें घर पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी परंतु तुम्हारा पुत्र केवल 16 वर्ष तक ही जीवित रहेगा|
देवी की यह बात सुनकर सेठ और सेठानी बहुत दुखी हुए लेकिन फिर भी उन्होंने वरदान स्वीकार कर लिया|

देवी के वरदान से सेठानी ने एक पुत्र को जन्म दिया|
सेठ ने जब अपने पुत्र का नामकरण संस्कार किया तो उसने उसका नाम चिरायु रखा.
जैसे – जैसे समय बीतता गया| सेठ-सेठानी को अपने पुत्र की मृत्यु की चिंता सताने लगी।
तब एक विद्वान ने सेठ को यह सलाह दी कि यदि वह अपने पुत्र का विवाह एक ऐसी कन्या से करा देगें, जो मंगला गौरी का व्रत रखती हो|

उसी कन्या के व्रत के फलस्वरूप आपके पुत्र को दीर्घायु प्राप्त होगी|
सेठ ने विद्वान के कहे अनुसार अपने पुत्र का विवाह एक ऐसी कन्या से करार दिया, जो(mangla gauri) मंगला गौरी का विधिपूर्वक व्रत रखती थी|
विवाह के परिणामस्वरूप चिरायु का अकाल मृत्युदोष ससमाप्त हो गया और राजा का पुत्र नामानुसार चिरायु हो उठा|
तभी से महिलाएं पूरी श्रद्धाभाव से (mangla gori)मंगला गौरी का व्रत रखने लगी|

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(Significance of Mangla Gauri Vrat)\मंगला गोरी व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार(mangla gauri) मंगला गौरी व्रत रखने तथा इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। वहीं सुहागिन महिलाएं इस व्रत(mangla gauri) को अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं।
इसके अलावा संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली स्त्रियों के लिए भी ये व्रत बहुत उत्तम है।
इस व्रत को करने से दाम्पत्य जीवन में कोई भी समस्या हो तो वह दूर हो जाती है।

 

(Mangla Gauri Puja Method)\मंगला गोरी पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर लाल,गुलाबी,नारंगी,पीले या हरे रंग के स्वच्छ-सुंदर वस्त्र धारण करें।
इसके बाद घर की पूर्वोत्तर दिशा में एक चौकी स्थापित करें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
अब चौकी पर माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
मां पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री,सूखे मेवे,नारियल,लौंग,सुपारी,इलायची और मिठाई अर्पित करें।
भक्तिभाव से पूजन के बाद माता रानी की आरती उतारें और व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।

अंत में मां (mangla gauri)गौरी के सामने हाथ जोड़कर अपने समस्त अपराधों के लिए एवं पूजा में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगना चाहिए। इस व्रत और पूजा को परिवार की खुशी के लिए लगातार 5 वर्षों तक किया जाता है। अत: शास्त्रों के अनुसार यह (mangla gauri) मंगला गौरी व्रत नियमों के अनुसार करने से प्रत्येक मनुष्य के वैवाहिक सुख में बढ़ोतरी होकर पुत्र-पौत्रादि भी अपना जीवन सुखपूर्वक गुजारते हैं, ऐसी इस व्रत की महिमा है।

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