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मंगला गौरी (Mangla Gauri)व्रत कथा
यह व्रत सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती की कामना के लिए करती हैं। मान्यता है कि मंगला गौरी(Mangla Gauri )व्रत में विधि पूर्वक करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है और दांपत्य जीवन में अथाह प्रेम बना रहता है।
संतान प्राप्ति की कामना रखने वाली स्त्रियों के लिए भी यह व्रत बहुत शुभफलदायी रहता है।
सावन का महीने भगवान शिव को समर्पित है और सावन का मंगलवार माता पार्वती को ।
सावन के मंगलवार को मंगला गौरी (Mangla Gauri )यानी माता पार्वती की पूजा की जाती है।
मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से मनोकामना जल्द पूरी हो जाती है।
सुहागन महिलाएं अगर इस व्रत को रखती है तो उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है।
सावन में मंगलवार को सुहागिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर शाम को मंगला गौरी (Mangla Gauri ) की विधि विधान से पूजा अर्चना करती है और व्रत कथा पढ़ती है।
मंगला गौरी (Mangla Gauri )व्रत विधि
- सूर्योदय से पहले उठें। इसके बाद स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- अब एक साफ लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं।
- उसपर मां गौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- मां के समक्ष व्रत का संकल्प करें व आटे से बना हुआ दीपक प्रज्वलित करें।
- इसके बाद धूप, नैवेद्य फल-फूल आदि से मां गौरी का षोडशोपचार पूजन करें।
- पूजा पूर्ण होने पर मां गौरी की आरती करें और उनसे प्रार्थना करें।
मंगला गौरी (Mangla Gauri ) व्रत 2023 दिनांक
श्रावण माह के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखते हैं।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार पहला व्रत 4 जुलाई, दूसरा 11 जुलाई, तीसरा 18 जुलाई और चौथा 25 जुलाई 2023 को रखा जाएगा। पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
अत: इस दिन माता मंगला गौरी का पूजन करके मंगला गौरी की कथा सुनना फलादायी होता है।
ज्योतिषीयों के अनुसार जिन युवतियों और महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कमी महसूस होती है
अथवा शादी के बाद पति से अलग होने या तलाक हो जाने जैसे अशुभ योग निर्मित हो रहे हो, तो उन महिलाओं के लिए मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से फलदायी है।
अत: ऐसी महिलाओं को सोलह सोमवार के साथ-साथ मंगला गौरी का व्रत अवश्य रखना चाहिए।
मंगला गौरी (Mangla Gauri ) व्रत कथा
एक समय की बात है एक शहर में धर्मपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसकी पत्नी बहुत खूबसूरत थी
और उसके पास काफी संपत्ति थी लेकिन, उनके कोई संतान नहीं होने के कारण वे काफी दुखी रहा करते थे।
भगवान की कृपा से उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन,
वह अल्पायु था। उनके पुत्र को श्राप मिला था कि 6 वर्ष की आयु में सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी।
संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष से पहले ही एक युवती से हुई जिसका माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी।
16 वर्ष की उम्र में सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी। संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष से पहले ही एक युवती से हुई जिसकी माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी।
परिणामस्वरुप उसने अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था।
जिसके कारण वह कभी भी विधवा नहीं हो सकती थी।
इस कारण धर्मपाल के पुत्र की आयु 100 साल की हुई। सभी नवविवाहित महिलाएं इस पूजा को करती है और मंगला गौरी व्रत का पालन करती हैं
और अपने लिए लंबे सुखी और स्थायी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।
उनकी मनोकामना पूरी होती है।
जो महिलाएं उपवास नहीं कर सकती वह मां मंगला गौरी की पूजा कर सकती है।
मंगला गौरी (Mangla Gauri ) कथा के बाद क्या करें
कथा सुनने के बाद विवाहित महिलाएं अपनी सास और ननद को लड्डू दिया जाता है। साथ ही ब्राह्मणों को भी प्रसाद दिया जाता है।
इस विधि को करने के बाद 16 बाती का दिया जलाकर मां मंगला गौरी की आरती करें।
अंत में मां गौरी के सामने हाथ जोड़कर पूजा में किसी भी भूल के लिए क्षमा मांगें।
आप इस व्रत और परिवार की खुशी के लिए लगातार 5 वर्षों तक कर सकते हैं।
शास्त्रों के अनुसार यह मंगला गौरी व्रत नियमानुसार करने से प्रत्येक मनुष्य के वैवाहिक सुख में बढ़ोतरी होकर पुत्र-पौत्रादि भी अपना जीवन सुखपूर्वक गुजारते हैं,
ऐसी इस व्रत की महिमा है।
यदि कुंवारी कन्या माता मंगला गौरी की पूजा भक्ति पूर्वक करें, तो उन्हें मनचाही वर भी मिल सकता है।
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