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हिंदू धर्म में (phalgun purnima)फाल्गुन पूर्णिमा का धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक महत्व है
इस दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के कारण इस व्रत को करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।
उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। इसी तिथि को होलिका दहन किया जाता है।
फाल्गुन माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि को(phalgun purnima) फाल्गुन पूर्णिमा कहा जाता है।
Phalgun Purnima: कथा
नारद पुराण के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा(phalgun purnima) की कथा को सबसे अधिक महत्व का माना जाता है।
नारद पुराण के अनुसार यह कथा हरिण्यकशयप और उसकी बहन होलिका की है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब राजा हिरण्यकशिपु ने यह देखा कि उसका पुत्र उसकी बात मानने की जगह भगवान विष्णु की पूजा करता है |
तो उसने गुस्से में अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ अग्नि में बैठने का हुक्म दिया ताकि प्रह्लाद अग्नि में भस्म हो जाए।
हिरण्यकशिपु के कहने पर होलिका प्रह्लाद को आग में जलाने के लिए उसे अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाती है।
कहते हैं कि होलिका को यह वरदान मिला था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती है।
लेकिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा और उसे आग में जलने से बचा लिया। वहीं होलिका में जलकर राख हो गई।
लेकिन ईश्वर की कृपा से भक्त प्रह्लाद सुरक्षित रहे पौराणिक काल से ही यह मान्यता है किफाल्गुन पूर्णिमा (phalgun purnima) के दिन लकड़ी व उपलों से होलिका का निर्माण करना चाहिए और शुभ मुहूर्त में विधि विधान से होलिका दहन करना चाहिए।

Phalgun Purnima
फाल्गुन पूर्णिमा : व्रत और पूजन विधि
फाल्गुन पूर्णिमा(phalgun purnima) व्रत करने से व्रती के सारे संताप मिट जाते हैं और सभी कष्टों का निवारण हो जाता है।
व्रती को पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रमा दिखाई देने तक उपवास रखना चाहिए।
फाल्गुन पूर्णिमा(phalgun purnima) पर कामवासना का दाह किया जाता है।
ताकि निष्काम प्रेम के भाव से प्रेम का रंगीला त्योहार होली मनाया जा सके। फाल्गुन मास की पूर्णिमा बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।
Phalgun Purnima: फाल्गुन पूर्णिमा के अनुष्ठान
- फाल्गुन पूर्णिमा (phalgun purnima) पर भक्तों को सुबह जल्दी उठने एवं पवित्र नदियों में स्नान करने की आवश्यकता होती है
क्योंकि ऐसा करना बहुत शुभ और भाग्यशाली माना जाता है। - पवित्र स्नान करने के बाद, भक्तों को मंदिर में या कार्यशाला या घर में विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
- विष्णु पूजा का अनुष्ठान करने के बाद सत्यनारायण कथा का पाठ करना चाहिए।
- भक्तों को भगवान विष्णु के मंदिर में जाना चाहिए, पूजा और प्रार्थना करनी चाहिए।
- गायत्री मंत्र और ओम नमो नारायण मंत्र 1008 बार जाप करना बहुत शुभ माना जाता है।
- लोगों को फाल्गुन पूर्णिमा (phalgun purnima) पर अधिक से अधिक दान करना चाहिए।
भोजन, कपड़े और पैसे जरूरतमंदों को दान करने चाहिए। - पूर्णिमा के दिन प्रातः काल उठकर स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
उसके बाद उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके होलिका का पूजन किया जाता है। - होलिका पूजन से पहले अपने आसपास पानी की कुछ बूंदें छिड़कने के बाद होलिका मनाईं जाती है ।
- एक थाली में माला,रोली , गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी मूंग, गुलाल, नारियल, बताशे पांच प्रकार के अनाज में गेहूं की बालियां और साथ में एक लौटा जल का रखा जाता है।
- पूजन सामग्री एकत्रित करने के बाद होलिका पर रोली,चावल, फूल बताशे अर्पित किए जाते हैं
और मौली को होलिका के चारों तरफ लपेट दिया जाता है। - इसके बाद होलिका पर भक्त प्रह्लाद का नाम लेकर पुष्प अर्पित किए जाते हैं ।
- सभी पूजा विधि सम्पन्न करने के बाद होलिका दहन और उसकी परिक्रमा की जाती है।
- होलिका की अग्नि में गुलाल डाला जाता है और मैं बुजुर्गों के पैरों पर गुलाल लगाकर आशीर्वाद लिया जाता है।

Phalgun Purnima
मान्यता है कि फाल्गुन माह हिंदू वर्ष का अंतिम मास होता है इसके बाद हिंदू नववर्ष का आगमन होता है।
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