Unveiling the Astounding story of Rameshwaram Jyotirlinga 2023 : रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की कथा - Gyan.Gurucool
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रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga)की कथा

Rameshwaram Jyotirlinga

 

12 ज्योतिर्लिंगों में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga)भी शामिल है।
जो रामेश्वरम में स्थित है।भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं
जो हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए अत्यंत पूजनीय हैं।
इस ज्योतिर्लिंग को राम लिंगेश्वरम ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है
जो अपने शिल्प कला कृतियों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
यह चेन्नई से लगभग सवा 400 मील दूर रामनाथपूरम में स्थित है|

 

रामेश्वरम धाम(Rameshwaram Jyotirlinga) का धाार्मिक महत्व एवं स्थापना

 

रामेश्वरम में प्रतिवर्ष इस ज्योतिर्लिंग को सजाकर वार्षिकोत्सव बड़े ही धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है।
इस अवसर पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों को तैयार करके सोने
और चांदी के वाहनों के ऊपर स्थापित करके उनकी शोभा यात्रा निकाली जाती है।

 

इस वार्षिकोत्सव के अवसर पर उत्तराखंड के गंगोत्री से गंगाजल लाकर ज्योतिर्लिंग का स्नान कराया जाता है
जिसका बहुत विशेष महत्व होता है। रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग जिस धाम में स्थापित है
उसे रामेश्वरम चार धाम के अलावा रामनाथ स्वामी मंदिर भी कहा जाता है।

 

शिव पुराण के कोटिरूद्र संहिता के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना भगवान श्रीराम ने पूजन के लिए की थी।
जब रावण ने सीता जी का हरण किया था और उन्हें लंका ले गया था
उस समय भगवान श्री राम बहुत व्याकुल होकर उनकी खोज में दक्षिण की ओर निकले थे।

रामेश्वरम में समुद्र तट पर भगवान शिव की आराधना और
उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रभु श्री राम ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।
क्योंकि यह ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम के तट पर स्थित था
इसलिए इसे रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga) या राम लिंगेश्वरम ज्योतिर्लिंग कहा गया।

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के अलावा रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga) भारत के चार प्रमुख धामों में से एक है
जहां प्रत्येक वर्ष लाखों श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना के लिए जाते हैं।रामेश्वरम तीर्थ हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ है।
कहा जाता है कि आज से 400 वर्ष पूर्व रामेश्वरम जाने के लिए एक लंबा चौड़ा पुल बनवाया था जिनका नाम कृष्णप्पा नायकम था।

 

लेकिन भारत में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान राजा द्वारा बनवाए गए
इस पुल के स्थान पर एक एक रेलवे पुल बनाने का विचार किया गया।
इस समय पुल की स्थिति भी काफी जर्जर हो चुकी थी।
परिणाम स्वरूप अंग्रेजों के दिशा निर्देश में गुजरात के कच्छ से आए हुए बेहतरीन कारीगरों ने एक बेहद ही सुंदर और आकर्षक नया रेलवे पुल बनाकर तैयार किया।
इस ब्रिज को पंबन ब्रिज नाम से जाना जाता है जो 145 स्तंभों पर टिका हुआ है जिसे कंक्रीट से बनाया गया है।
इसी पुल के निर्माण के साथ रामेश्वरम का संबंध रेल सुविधाओं से हो गया।

 

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga) की कथा

 

कहा जाता है कि जब रावण ने सीता जी का हरण किया
और उन्हें अपने साथ लंका ले गया उस समय सीता जी की तलाश में प्रभु
श्री राम बन बन भटक रहे थे
तब उन्हें उसे जंगल में घायल अवस्था में गिद्ध जटायु मिले। जब भगवान श्रीराम ने जटायु से सीता माता के बारे में पूछा तो जटायु ने बताया
कि रावण नाम के राक्षस ने सीता माता को हर लिया है और उन्हें दक्षिण की ओर लंका नगरी में ले गया है।

 

गिद्ध राज जटायु का यह संदेश पाकर प्रभु श्री राम अपने सेनापति हनुमान अपने छोटे भाई लक्ष्मण और अपनी पूरी वानर सेना के साथ सीता माता की खोज के लिए दक्षिण की ओर निकल गए। जब वह भारत के दक्षिणी छोर पर पहुंचे तो उन्होंने रामेश्वरम के तट पर देखा
कि भारत और लंका के बीच एक अथाह समुद्र है जिसे लांग कर उस पार जाना अत्यंत कठिन है।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की कथा

भगवान श्री राम प्रत्येक दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करते थे
और तब उसके बाद ही वे अन्य और जल ग्रहण करते थे
लेकिन उस दिन वह भगवान शिव की आराधना करना भूल गए।

 

अचानक से उन्हें प्यास लगी और वह पानी पीने के लिए समुद्र तट पर गए तब वहीं अचानक उन्हें भगवान शिव की याद आई।
तभी उन्होंने भगवान शिव की आराधना करने के लिए रामेश्वरम के इसी तट पर भगवान शिव के पार्थिव लिंग की स्थापना की और उनकी आराधना करने लगे।

 

भगवान शिव राम जी की आराधना और तपस्या में उनकी निष्ठा को देखकर और प्रसन्न हुए और प्रकट होकर कहा कि राम क्या वर चाहिए।
प्रभु श्री राम ने भगवान शिव से कहा कि वह भविष्य में जो युद्ध लड़ने जा रहे हैं
उसमें उनकी जीत सुनिश्चित हो तथा लोक कल्याण के लिए भगवान राज्य से इसी तट पर विराजमान हो
तभी से सभी सत्य सनातन को मानने वाले यह मानते हैं कि रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव वास करते हैं
इसीलिए प्रत्येक वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां पर दूर-दूर से इनकी पूजा आराधना करने के लिए आते हैं।

 

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग(Rameshwaram Jyotirlinga)से जुड़े रोचक तथ्य

 

1. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga) 1000 फुट लंबा तथा चौड़ाई में 650 फुट चौड़ा है।

2. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga) के निर्माण के समय इसके निर्माण में लगे पत्थरों को नाव के जरिए श्रीलंका से लाया गया था।

3. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga) में प्रवेश करने के लिए काफी लंबा चौड़ा गलियारा बनाया गया है
यह गलियारा विश्व के किसी मंदिर के गलियारे में से सबसे बड़ा है। यह गलियारा 1212 स्तंभों पर टिका हुआ है
जिनपर बहुत सुंदर कलाकृतियां बनी हुई हैं।

4. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga) के अंदर 24 कुएं स्थित है लोग मानते हैं
कि इनको का सृजन प्रभु श्री राम ने अपने अमोघ वाणों से किया था।

5. इस स्थान पर दो शिवलिंग स्थापित है जिनमें एक तो माता सीता द्वारा रेत बालू से निर्मित है
और दूसरा हनुमानजी द्वारा कैलाश से लाया हुआ शिवलिंग हैं।

 

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