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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga) की कथा

Source – PxFuel
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga) मंदिर भारत के बारह(12) आदि ज्योतिर्लिंगों में से सबसे प्रथम है। सोमनाथ मे सोम का अर्थ है चंद्र देव (चंद्रमा), तथा नाथ का अर्थ भगवान है। सोमनाथ प्राचीन काल से ही तीन नदियों कपिला, हिरण्या और सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर स्थित है।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga) मंदिर के केंद्रीय हॉल को अष्टकोणीय शिव-यंत्र का आकार दिया गया है।
मंदिर को समुद्र की दीवार से सुरक्षा प्रदान की गई है, इसका अर्थ है कि उस विशेष देशांतर पर मंदिर और दक्षिणी ध्रुव के बीच कोई भूमि नहीं है।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga) मे यह स्थिति तीर-स्तंभ द्वारा इंगित की गई है, जिसे संस्कृत में बाणस्तंभ कहा जाता है।
गुजरात प्रांत के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे सोमनाथ नामक विश्वप्रसिद्ध मंदिर में यह सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga)स्थापित है।
पहले यह क्षेत्र प्रभासक्षेत्र के नाम से जाना जाता था।
यहीं भगवान् श्रीकृष्ण ने जरा नामक व्याध के बाण को निमित्त बनाकर अपनी लीला का संवरण किया था।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga)धार्मिक महत्व
पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार सोम नाम चंद्र का है, जो दक्ष के दामाद थे। एक बार उन्होंने दक्ष की आज्ञा की अवहेलना की, जिससे कुपित होकर दक्ष ने उन्हें श्राप दिया कि उनका प्रकाश दिन-प्रतिदिन धूमिल होता जाएगा। जब अन्य देवताओं ने दक्ष से उनका श्राप वापस लेने की बात कही तो उन्होंने कहा कि सरस्वती के मुहाने पर समुद्र में स्नान करने से श्राप के प्रकोप को रोका जा सकता है। सोम ने सरस्वती के मुहाने पर स्थित अरब सागर में स्नान करके भगवान शिव की आराधना की। प्रभु शिव यहां पर अवतरित हुए और उनका उद्धार किया व सोमनाथ ज्योतिर्लिंग(Somnath Jyotirlinga) के नाम से प्रसिद्ध हुए।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा
दक्ष राजा ने अपनी तेरह बेटियों का विवाह चंद्र से किया था। पर चंद्र रोहिणी नाम की पुत्री पर अधिक मोहित होकर उनको अधिक महत्व देने लगे।
दु:खी होकर अन्य बेटियाँ अपने पिता को देखने चली गईं।
जब पुत्रीओ ने पिता दक्ष के बारे में सब कुछ बताया, तो अपनी बेटियों की बात सुनकर दक्ष बहुत दुखी हुए।
लेकिन फिर भी मन को शांत करते हुए, चंद्र के पास जाकर प्रेम पूर्वक समजने लगे।
लेकिन चंद्रमा प्रभावित नहीं हुआ। तो दक्ष उदास हो गए और चंद्रमा को कोसते हुए कहने लगे,
हे चंद्रमा! तुमने मेरी शिक्षा की अवज्ञा की है। तो तुम क्षय रोग के रोगी हो जाओ और चंद्र क्षय रोग से दुर्बल हो गया।
इसलिए हर तरफ देवताओ में चीख-पुकार मच गई।
तो देवता और ऋषि दुखी हो गए और ब्रह्माजी के पास गए और उनसे उपाय दिखाने का अनुरोध किया।
तब ब्रह्माजी ने कहा, हे ऋषियों! यदि आप समुद्र तट पर प्रभास नामक एक उत्कृष्ट स्थान पर जाते हैं, और एक शिवलिंग की स्थापना करते हैं,
और शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं, तो वह इस रोग से मुक्त हो जाएगा।
ब्रह्माजी के अनुसार, चंद्र प्रभास तीर्थ गए और वहां ज्योतिर्लिंग की स्थापना की।
मृत्युंजय मंत्रों का जाप करने लगे और शिव-प्रार्थना-स्तुति करने लगे।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा
तब शिवजी प्रसन्न हुए और उनसे आशीर्वाद मांगने को कहा। चंद्र कहने लगे हे देवाधि देव !
आपके लिए क्या अज्ञात है? मुझे मेरे अपराध के लिए क्षमा करें।
मेरे क्षय रोग से मुक्ति दिलाइये। तब शिवाजी कहने लगे,
हे चंद्र ! आपकी कलाएँ एक तरफ क्षीण होगी और दूसरी तरफ पुनर्विस्तरित होंगी।
ऐसा कहकर शिवजी वहाँ साकार हो गए और सोमेश्वर के नाम से तीनों लोकों में विख्यात हो गए।
वहा चंद्रकुंड नामक देवताओं द्वारा बनाया गया एक पानी का कुंड है।
इस कुंड में स्नान करने वाले सर्वेक्षक अपने पापों से मुक्त हो जाते हैं, और रोगमुक्त हो जाते हैं।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग तक कैसे पहुंचें?
केशोड और सोमनाथ के बीच बस व टैक्सी सेवा भी है।
यहाँ से अहमदाबाद व गुजरात के अन्य स्थानों का सीधा संपर्क है
साधारण व किफायती सेवाएं उपलब्ध हैं। वेरावल में भी रुकने की व्यवस्था है।
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