विनायक चतुर्थी : Unveiling the story of vinayak chaturthi -
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विनायक चतुर्थी व्रत कथा(vinayak chaturthi)

 

vinayak chaturthi कथा का महत्व

शुक्ल पक्ष की vinayak chaturthi गणेश चतुर्थी को विध्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा विधि विधान से की जाती है।
(vinayak chaturthi)विनायक चतुर्थी के दिन व्रत रखा जाता है
और गणेश जी की आराधना की जाती है। (vinayak chaturthi) विनायक चतुर्थी के दिन व्रत रखा जाता है
और गणेश जी की आराधना की जाती है तथा (vinayak chaturthi)
विनायक चतुर्थी व्रत कथा का श्रवण किया जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आप जो भी व्रत रखते हैं उसकी व्रत कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए।
उस व्रत कथा के श्रवण से ही उसका पूरा फल प्राप्त होता है और मनोकामना पूर्ण होती है।

(vinayak chaturthi)विनायक चतुर्थी व्रत भगवान गणेश को समर्पित माना जाता है।
यह व्रत प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता है। इस व्रत के दौरान भगवान गणेश की विधिवत पूजा की जाती है।
वैशाख शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी पर विधिवत पूजा करना अत्यंत मंगलकारी माना जाता है।

 

vinayak chaturthi कथा

किसी समय नर्मदा नदी के तट पर माता पार्वती और भगवान शिव चौपड़ खेल का आनन्द ले रहे थे।
खेल में निर्णायक की भूमिका के लिए भगवान शिव ने मिट्टी का एक पुतला बनाया
और उसमें प्राण डालकर जीवित कर दिया।
भगवान शिव ने उस बालक को आदेश दिया कि वह विजेता का फैसला करेगा।

माता पार्वती और शिव खेल में व्यस्त हो गए।
माता पार्वती और शिव के बीच में तीन बार चौपड़ का खेल हुआ।
जिसमें माता पार्वती जीत गई , लेकिन बालक ने भगवान शिव को विजेता घोषित कर दिया।
बालक के फैसले पर माता पार्वती बहुत क्रोधित हुई और उन्होंने बालक को श्राप दे दिया।

जिसके बाद बालक ने माता पार्वती से क्षमा मांगते हुए कहा कि भूलवश हो गया।
जिस पर माता पार्वती ने कहा कि दिया हुआ श्राप वापस नहीं होगा। हालांकि माता पार्वती ने श्राप से मुक्ति के उपाय बताए।
उपाय में उन्होंने कहा कि भगवान गणेश की पूजा करने के लिए नागकनयाएं आएंगी ।
तब उनके कहे अनुसार व्रत करना होगा। जिसके बाद श्राप से मुक्ति मिल जाएगी। 

विनायक चतुर्थी

वह बालक काफी वर्षों तक श्राप से जूझता रहा।
एक दिन भगवान गणेश की पूजा करने के लिए नागकनयाएं आई जिनसे बालक ने गणेश व्रत की विधि पूछी और सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने लगा।
कहते हैं कि बालक की भक्ति को देखकर भगवान गणेश ने उसे दर्शन दिया और उससे वरदान मांगने के लिए कहा।

भगवान गणेश के आशीर्वाद से वह बालक श्राप से मुक्त हो गया।
जिसके बाद वह बालक माता पार्वती और शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंचा।

कहते हैं जब बालक भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत पर पहुंचा तो भगवान शिव ने भी 21 दिनों तक गणेश व्रत किया।
जिसके बाद माता पार्वती शिव के प्रति नाराजगी दूर हो गई। भगवान शिव में माता पार्वती को गणेश व्रत की विधि और उसकी महिमा के बारे में बताया। 

 

vinayak chaturthi मनोकामना पूर्ण व्रत

तब माता पार्वती ने भी 21दिन तक श्री गणेश का व्रत किया
तथा दुर्वा, फूल, और लड्डूओं से गणेश जी का पूजन अर्चन किया। व्रत के 21वे दिन कार्तिकेय स्वयं माता पार्वती जी से आ मिले।
उस दिन से श्री गणेश चतुर्थी का यह व्रत समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला व्रत माना जाता है।
इस व्रत को करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

विनायक चतुर्थी व्रत कथा भगवान श्री गणेश को समर्पित माना जाता है।
यह व्रत प्रत्येक महीने के (vinayak chaturthi) शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता है।
इस व्रत के दौरान भगवान गणेश की विधिवत पूजा की जाती है। (vinayak chaturthi) वैशाख शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा को भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है । इस व्रत को करने से मनुष्य के सारे कष्ट दूर होकर मनुष्य को समस्त सुख सुविधाएं प्राप्त होती है ।

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