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मेंहदीपुर बालाजी (Balaji) मन्दिर राजस्थान के तहसील सिकराय में स्थित हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मन्दिर है।
भारत के कई भागों में हनुमान जी को बालाजी कहते हैं। यह स्थान दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ बहुत आकर्षक दिखाई देता है। यहाँ की शुद्ध जलवायु और पवित्र वातावरण मन को बहुत आनंद प्रदान करती है। यहाँ नगर-जीवन की रचनाएँ भी देखने को मिलेंगी।
बालाजी (Balaji) महाराज के दर्शन हेतु मेंहदीपुर जाने से कम से कम एक सप्ताह पहले आपको मांस , अण्डा , शराब आदि तामसिक चीजों का त्याग करना चाहिए और सर्वप्रथम बालाजी (Balaji) महाराज के दर्शन से पूर्व प्रेतराज सरकार के दर्शन और प्रेतराज चालीसा का पाठ करना चाहिए।
इसके बाद बालाजी (Balaji) महाराज के दर्शन और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए और सबसे अन्त में कोतवाल भैरवनाथ के दर्शन करने के बाद भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए। मंदिर में किसी से कोई भी चीज़ यहां तक कि प्रसाद भी न लें और न ही किसी को कोई भी चीज़ जैसे प्रसाद न दें।
आते तथा जाते समय भूल से भी पीछे मुड़कर न देखें। आने और जाने की दरखास्त लगाकर जाएं क्योंकि बाबा की आज्ञा से ही कोई मेंहदीपुर में आ तथा जा सकता है।

Balaji
श्री बालाजी की आरती
ॐ जय हनुमत वीरास्वामी जय हनुमत वीरा।
संकट मोचन स्वामीतुम हो रणधीरा॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
पवन-पुत्र-अंजनी-सुतमहिमा अति भारी।
दुःख दरिद्र मिटाओसंकट सब हारी॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
बाल समय में तुमनेरवि को भक्ष लियो।
देवन स्तुति कीन्हीतब ही छोड़ दियो॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
कपि सुग्रीव राम संगमैत्री करवाई।
बाली बली मरायकपीसहिं गद्दी दिलवाई॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
जारि लंक को ले सिय कीसुधि वानर हर्षाये।
कारज कठिन सुधारेरघुवर मन भाये॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
शक्ति लगी लक्ष्मण केभारी सोच भयो।
लाय संजीवन बूटीदुःख सब दूर कियो॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
ले पाताल अहिरावणजबहि पैठि गयो।
ताहि मारि प्रभु लायेजय जयकार भयो॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
घाटे मेहंदीपुर मेंशोभित दर्शन अति भारी।
मंगल और शनिश्चरमेला है जारी॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
श्री बालाजी की आरतीजो कोई नर गावे।
कहत इन्द्र हर्षितमन वांछित फल पावे॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
Balaji ki Arti
Om jaya Hanmath veera, Swami jaya hanumath veera,
Sankat Mochan swami, thum ho Rana Dheera || 1 ||
Pavan puthra, Anjani sutha, mahimaa athi baari,
Dukha daridrya mitavo, sankat cchaya hari. || 2 ||
Bala samya may thum ne, ravi ko bhaksha liyo,
Devan Sthuthi keenhi, thurthhi chod dhiyo. || 3 ||
Kapi Sugreeva rama sangh maithri karvayi,
Abhimani bali matyo, Keerthi rahi chayi, || 4 ||
Jaari lanka siya sudhi lay aayi, vanara harshayo.
Karaj kadin sudhare, Raghuvar man bhaaye, || 5 ||
Shakthi lagee Lakshman ko, Bhaari soch bhayo.
Laya Sanjeevan bhooti, dukha sab dhoor kiyo, || 6 ||
Ramahi lay mahiravan, jab patal gayo,
Thaahi maari Prabhu layo, jaya jayakaar bhaayo. || 7 ||
Rajat mehandhipur mein darshan Sukha kari,
Mangal aur sanischar, mela hai jari, || 8 ||
Sri Balaji ki aarthi, jo koi nar gave,
Kahath Indr harshitha man, vaanchitha phal pave. || 9 ||
यहाँ तीन देवों की प्रधानता है— श्री बालाजी (Balaji) महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री भैरव कोतवाल। यह तीन देव यहाँ आज से लगभग १००८ वर्ष पूर्व प्रकट हुए थे। इनके प्रकट होने से लेकर अब तक बारह महंत इस स्थान पर सेवा-पूजा कर चुके हैं और अब तक इस स्थान के तीन महंत इस समय भी विद्यमान हैं।
सर्व श्री गणेशपुरी जी महाराज (सर्वप्रथम सेवक) श्री किशोरपुरी जी महाराज (पूर्व सेवक) और श्री नरेशपुरी जी महाराज (वर्तमान सेवक)। यहाँ के उत्थान का युग श्री गणेशपुरी जी महाराज के समय से प्रारम्भ हुआ और अब दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।
प्रधान मंदिर का निर्माण इन्हीं के समय में हुआ। सभी धर्मशालाएँ इन्हीं के समय में बनीं। इस प्रकार इनका सेवाकाल श्री बालाजी घाटा मेंहदीपुर के इतिहास का स्वर्ण युग कहलाएगा।
इस प्रकार तीनों देवों की स्थापना हुई। विक्रमी-सम्वत् १९७९ में श्री महाराज ने अपना चोला बदला।
उतारे हुए चोले को गाड़ियों में भरकर श्री गंगा में प्रवाहित करने हेतु बहुत से श्रद्धालु चल दिये। चोले को लेकर जब मंडावर रेलवे स्टेशन पर पहुँचे तो रेलवे अधिकारियों ने चोले को सामान समझकर सामान-शुल्क लेने के लिए उस चोले को तौलना चाहा, किन्तु वे तौलने में असमर्थ रहे। चोला तौलने के क्रम में वजन कभी एक मन बढ़ जाता तो कभी एक मन घट जाता; अन्तत: रेलवे अधिकारी ने हार मान लिया और चोले को सम्मान सहित गंगा जी को समर्पित कर दिया गया।
उस समय हवन, ब्राह्मण भोजन एवं धर्म ग्रन्थों का पारायण हुआ और नये चोले में एक नयी ज्योति उत्पन्न हुई, जिसने भारत के कोने-कोने में प्रकाश फैला दिया।

श्री बालाजी की आरती
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