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हमारे ऋषि मुनियों एवं विद्वानों की शिक्षा ही हमारी संस्कृति को अतीत से लेकर वर्तमान तक लाती हैं. वेद, पुराण, भगवद् गीता (Bhagavad Gita) , महाभारत, रामायण आदि भारतीय संस्कृति के आधार हैं। सभी हिन्दू शास्त्रों में गीता को प्रथम स्थान दिया जाता हैं।
मुनि वेदव्यास जी ने ही गीता की रचना की थी। यह ग्रन्थ मूल रूप से महाभारत के भीष्म पर्व का ही एक भाग हैं।भगवद् गीता (Bhagavad Gita) में कुल अठारह पर्व अथवा अध्याय एवं करीब 700 संस्कृत श्लोक हैं।
हिन्दुओं में भगवद् गीता (Bhagavad Gita) के प्रति अगाध श्रद्धा एवं निष्ठा हैं। जैसे जैसे समाज में शिक्षा का चलन बढ़ा है वैसे वैसे गीता को घर घर में पढ़ा जाने लगा हैं। भारत की संस्कृति के स्वरूप उसकी सहिष्णुता के भाव को भगवद् गीता (Bhagavad Gita) जी में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता हैं।
भगवद् गीता (Bhagavad Gita) में भगवान कृष्ण द्वारा युद्ध काल में अपने प्रिय शिष्य अर्जुन को दिए गये उपदेशों का वर्णन हैं। महाभारत के युद्ध में जब कौरवों और पांडवों की सेना एक दूसरे के सम्मुख खड़ी हुई तो अर्जुन प्रतिपक्ष में अपने सभी स्वजनों को देखकर युद्ध त्याग कर अपनी पराजय स्वीकार करने लगे थे।
तभी श्रीकृष्ण उन्हें उपदेश देते है और कहते है इन्सान को निष्काम भाव से कर्म करते रहना चाहिए उसे फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।

Bhagavad Gita
भगवद् गीता आरती
जय भगवद् गीते, जय भगवद् गीते ।
हरि-हिय-कमल-विहारिणि सुन्दर सुपुनीते ॥
जय भगवद् गीते…
कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि कामासक्तिहरा ।
तत्त्वज्ञान-विकाशिनि विद्या ब्रह्म परा ॥
जय भगवद् गीते…
निश्चल-भक्ति-विधायिनि निर्मल मलहारी ।
शरण-सहस्य-प्रदायिनि सब विधि सुखकारी॥
जय भगवद् गीते…
राग-द्वेष-विदारिणि कारिणि मोद सदा ।
भव-भय-हारिणि तारिणि परमानन्दप्रदा ॥
जय भगवद् गीते…
आसुर-भाव-विनाशिनि नाशिनि तम रजनी ।
दैवी सद् गुणदायिनि हरि-रसिका सजनी ॥
जय भगवद् गीते…
समता, त्याग सिखावनि, हरि-मुख की बानी ।
सकल शास्त्र की स्वामिनी श्रुतियों की रानी ॥
जय भगवद् गीते…
दया-सुधा बरसावनि, मातु ! कृपा कीजै ।
हरिपद-प्रेम दान कर अपनो कर लीजै ॥
जय भगवद् गीते…
Bhagavad Gita Ki Aarti
Jai Bhagavad Gite, Jai Bhagavad Gite.
Hari-Hiy-Kamal-Viharini Sundar Supunite.
Jai Bhagwat Gite…
Karm-Sumarm-Prakashini, Kamasaktihara.
Tattvagyan-Vikashini Vidya Brahm Pra.
Jai Bhagavad Gite…
Nishchal-Bhakti-Vidhayini Nirmal Malhari.
Sharan-Sahasy-Pradayini Sab Vidhi Sukhkari.
Jai Bhagavad Gite…
Raag-Dvesh-Vidarini Karini Mod Sada.
Bhav-Bhay-Harini Tarini Paramanandaprada.
Jai Bhagavad Gite…
Aasur-Bhav-Vinashini Nashini Tam Rajni.
Daivi Sad Gunadayini Hari-Rasika Sajani.
Jai Bhagavad Gite…
Samata, Tyag Sikhavani, Hari-Mukh Ki Baani.
Sakal Shastra Ki Svamini Shrutiyon Ki Rani.
Jai Bhagavad Gite…
Daya-Sudha Barasavani, Maatu! Kripa Keejai.
Haripad-Prem Daan Kar Apano Kar Leejai.
Jai Bhagavad Gite..
सभी वेदों का सम्पूर्ण सारांश गीता के विद्यमान है। इसके बारे में वर्णन करने के लिए हमारे पास सबंध सीमा नहीं है, इसे शब्दों से नहीं बाधा जा सकता है। ये भगवान कृष्ण से नीकली है|
जिसे आज के ज़माने में लोग उसे अध्ययन करते है। भगवान कृष्ण ने अपने इसके महत्त्व को बताया- की यदि कोई व्यक्ति इसका सम्पूर्ण अध्ययन अपने तन-मन के साथ करें तो उन्हें परमात्मा जरुर मिलते है। प्रेमपूर्वक भव से इसको पढने के मुक्ति होती है।
चार वेदों की सम्पूर्ण जानकारियों को मिलकर ही भगवद् गीता (Bhagavad Gita) का निर्माण किया गया है|प्रत्येक व्यक्ति जो इसका अध्ययन करेगा या इसका भाव सुनेगा वह अपने जीवन में मोक्ष प्राप्त करेगा। इसका प्रमुख उद्देश्य लोगो का उद्धार करना ही है।
इसका अध्ययन करने के लिए किसी धर्म या किसी देश में रोकटोक नहीं है। भगवद् गीता (Bhagavad Gita) का अध्ययन प्रत्येक धर्म के लोग, किसी भी वर्ण तथा किसी भी देश में रहकर भगवद् गीता (Bhagavad Gita) का अध्ययन कर सकता है|
मानव जीवन दुखों का घर माना जाता हैं, जीवन भर अपनों तथा परायों की पीड़ा को देखकर या सहकर मनुष्य खुद को कष्ट देता रहता हैं। वह स्वयं के ज्ञान से अपरिचित होता हैं। इसका हर श्लोक हमारे जीवन की बाधाओं में राह दिखाता हैं। इसके सार को अपने जीवन में अपनाकर इसे अधिक सुखी और आनन्दमय बना सकते हैं|
इसके बारे में कहा जाता है कि यदि एक मुर्ख इंसान भी एक बार उपदेशों को आत्मसात करले तो वह आत्मज्ञानी बन जाता हैं। जीवन की वास्तविकता, धर्म का आशय और जीवन में योगदान, विपत्ति में क्या करना चाहिए कौन मित्र और शत्रु है इसकी पहचान भगवद् गीता (Bhagavad Gita) पढ़ने भर से स्वतः हो जाती हैं|

भगवद् गीता आरती
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