Jag Janani Ki Aarti (जगजननी की आरती) - Gyan.Gurucool
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जगजननी (Jag Janani) या दुर्गा आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें प्रकृति देवी, देवी, शक्ति, आदिमाया, भगवती, माता रानी, जग्दम्बा, सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं।

शाक्त सम्प्रदाय की जगजननी (Jag Janani) मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती योगमाया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। जगजननी (Jag Janani) अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं।  जगजननी (Jag Janani) के बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं।

उनके स्वयं कई रूप हैं (सावित्री, लक्ष्मी एव पार्वती से अलग)। मुख्य रूप  जगजननी (Jag Janani) का “गौरी” है, अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप। उनका सबसे भयानक रूप “काली” है, अर्थात काला रूप। विभिन्न रूपों में दुर्गा भारत और नेपाल के कई मन्दिरों और तीर्थस्थानों में पूजी जाती हैं।भगवती दुर्गा की सवारी शेर है।

Jag Janani Ki Aarti

Jag Janani

Jag Janani Ki Aarti (जगजननी की आरती)

जगजननी जय जय माँ जगजननी जय जय ॥
भयहारिणि भवतारिणि भवभामिनि जय जय ॥

तू ही सत चित सुखमय शुद्ध ब्रह्मरूपा ।
सत्य सनातन सुंदर परशिव सुर भूपा ॥1॥

आदि अनादि अनामय अविचल अविनाशी ।
अमल अनंत अगोचर अज आनंदराशी ॥2॥

अविकारी अघहारी अकल कलाधारी ।
कर्ता विधि भर्ता हरि हर संहारकारी ॥3॥

तू विधिवधू रमा तू उमा महामाया ।
मूल प्रकृति विद्या तू तू जननी जाया ॥4॥

राम कृष्ण तू सीता वृजरानी राधा ।
तू वाञ्छाकल्पद्रुम हारिणि सब बाधा ॥5॥

दशविद्या नवदुर्गा नाना शस्त्र करा ।
अष्ट मातृका योगिनि नव नव रूप धरा ॥6॥

तू परधामनिवासिनि  महाविलासिनि तू।
तू ही श्मशान विहारिणि ताण्डवलासिनि तू ॥7॥

सुर मुनि मोहिनि सौम्या तू शोभाआ्धारा।
विवसन विकट सरूपा प्रलयमयी धारा ॥8॥

तू ही स्नेह सुधामयि तू अति गरलमना ।
रत्नविभूषित तू ही तू ही अस्थितना ॥9॥

मूलाधार निवासिनि इह पर सिद्धिप्रदे ।
कालातीता काली कमला तू वरदे ॥10॥

शक्ति शक्तिधर तू ही नित्य अभेदमयी ।
भेद प्रदर्शनी वाणी विमले वेदत्रयी ॥11॥

हम अति दीन दुखी मां विपत जाल घेरे ।
हैं कपूत अति कपटी पर बालक तेरे ॥12॥

निज स्वभाव वश जननी दया दृष्टि कीजे ।
करुणा कर करुणामयी चरण शरण दीजे ॥13॥

Jag Janani Ki Aarti

Jagjanani Jai! Jai!!
Maa! Jagjanani Jai! Jai!!
Bhayaharini, Bhavtarini,
Maa Bhavbhavini Jai! Jai!!
Jagjanani Jai Jai..॥
Tu Hi Sat-Chit-Sukhmay,
Shuddh Brahmroopa.
Satya Sanatan Sundar,
Par-Shiv Sur-Bhupa॥
Jagjanani Jai Jai..॥

Adi Anadi Anamay,
Avichal Avinashi.
Amal Anant Agocar,
Aj Anandarashi॥
Jagjanani Jai Jai..॥

Avikari, Aghahari,
Akal, Kaladhari.
Karta Vidhi, Bharta Hari,
Har Sanharakari॥
Jagjanani Jai Jai..॥

Tu Vidhi-Vidhu, Rama,
Tu Uma, Mahamaya.
Mool Prakriti Vidya Tu,
Tu Janani, Jaya॥
Jagjanani Jai Jai..॥

Ram, Krishna Tu, Sita,
Vrajrani Radha.
Tu Vanchhakalpadrum,
Harini Sab Badha॥
Jagjanani Jai Jai..॥

Dash Vidya, Nav Durga,
Nanashastra Kara.
Ashtamatrika, Yogini,
Nav Nav Roop Dhara॥
Jagjanani Jai Jai..॥

Tu Par-Dham Nivasini,
Mahavilasini Tu.
Tu Hi Shmashan-Viharini,
Tandavalasini Tu॥
Jagjanani Jai Jai..॥

Sur-Muni-Mohini Saumya,
Tu Shobha Adhara.
Vivasan Vikat-Sarupa,
Pralaymayi Dhara॥
Jagjanani Jai Jai..॥

Tu Hi Sneha-Sudha Mayi,
Tu Ati Garal Manaa.
Ratnavibhushit Tu Hi,
Tu Hi Asthi-Tana॥
Jagjanani Jai Jai..॥

Mooladhar Nivasi,
Iha-par-siddhiprade.
Kalatita Kali,
Kamala Tu Varade.
Jagjanani Jay Jay!

Shakti Shaktidhar Tu Hi,
Nitya Abhedmayi.
Bhed Pradarshini Vani,
Vimale! Vedtrayi.
Jagjanani Jay Jay!

Hum Ati Din Dukhi Maan!,
Vipat-jaal Ghere.
Hain Kapoot Ati Kapati,
Par Balak Tere.
Jagjanani Jay Jay!

Nij Swabhav Vash Janani!,
Daya Drishti Kiji.
Karuna Kar Karunamayi,
Charan-Sharan Diji.
Jagjanani Jay Jay!

Jagjanani Jay! Jay!!
Maan! Jagjanani Jay! Jay!!
Bhay-harini, Bhavtarini,
Maan Bhav-bhavini Jay! Jay!!
Jagjanani Jay Jay!

 

मार्कण्डेय पुराण में ब्रहदेव ने मनुष्‍य जाति की रक्षा के लिए एक परम गुप्‍त, परम उपयोगी और मनुष्‍य का कल्‍याणकारी देवी कवच एवं व देवी सुक्‍त बताया है और कहा है कि जो मनुष्‍य इन उपायों को करेगा, वह इस संसार में सुख भोग कर अन्‍त समय में बैकुण्‍ठ को जाएगा। ब्रहदेव ने कहा कि जो मनुष्‍य दुर्गा सप्तशती का पाठ करेगा उसे सुख मिलेगा। भगवत पुराण के अनुसार माँ जगदम्‍बा का अवतरण श्रेष्‍ठ पुरूषो की रक्षा के लिए हुआ है।

जबकि श्रीं मद देवीभागवत के अनुसार वेदों और पुराणों कि रक्षा के और दुष्‍टों के दलन के लिए माँ जगदंबा का अवतरण हुआ है। इसी तरह से ऋगवेद के अनुसार माँ दुर्गा ही आदि-शक्ति है, उन्‍ही से सारे विश्‍व का संचालन होता है और उनके अलावा और कोई अविनाशी नही है।

इसीलिए नवरात्रि के दौरान नव दुर्गा के नौ रूपों का ध्‍यान, उपासना व आराधना की जाती है तथा नवरात्रि के प्रत्‍येक दिन मां दुर्गा के एक-एक शक्ति रूप का पूजन किया जाता है। और जय अम्बे गौरी आरती माँ दुर्गा की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। मां अम्बे की यह प्रसिद्ध आरती मां दुर्गा जी से जुड़े ज्यादातर मौकों पर पढ़ी जाती है।

दुर्गा का निरूपण सिंह पर सवार एक देवी के रूप में की जाती है। दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं जिन सभी में कोई न कोई शस्त्रास्त्र होते है। उन्होने महिषासुर नामक असुर का वध किया।

हिन्दू ग्रन्थों में वे शिव की पत्नी दुर्गा के रूप में वर्णित हैं। जिन ज्योतिर्लिंगों में देवी दुर्गा की स्थापना रहती है उनको सिद्धपीठ कहते है। वहाँ किये गए सभी संकल्प पूर्ण होते है।

जगजननी (Jag Janani) माता का दुर्गा देवी नाम दुर्गम नाम के महान दैत्य का वध करने के कारण पड़ा। माता ने शताक्षी स्वरूप धारण किया और उसके बाद शाकंभरी देवी के नाम से विख्यात हुई शाकंभरी देवी ने ही दुर्गमासुर का वध किया। जिसके कारण वे समस्त ब्रह्मांड में दुर्गा देवी के नाम से भी विख्यात हो गई।

Jag Janani Ki Aarti

Jag Janani Ki Aarti (जगजननी की आरती)

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