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Jagannath Ji Ki Aarti
भगवान जगन्नाथ का मंदिर ओडिशा के पुरी शहर में स्तिथ है, यहां भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की भी पूजा की जाती है। पुरी में जगन्नाथ जी (Jagannath Ji) का मंदिर निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया।
इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ जी (Jagannath Ji) की मूर्ति लकड़ी से बनी हुई है, जिसे हर 12 साल में बदला जाता है। जबकि हर साल आषाड़ महीने में शुक्ल पक्ष की द्वतीय तिथि को जगन्नाथ जी की रथ यत्र निकाली जाती है। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई. हिंदू पंचांग के अनुसार यह रथ यात्रा हर वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर निकाली जाती है।
इस रथ यात्रा का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पर भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के संग नगर का भ्रमण करते हुए अपनी मौसी के घर आराम करने जाते हैं।
रथ यात्रा में भारी संख्या में भगवान जगन्नाथ के भक्त एकत्रित होकर रथ को खींचते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,जो भी व्यक्ति इस रथयात्रा में शामिल होकर इस रथ को खींचता है उसे सौ यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. इस रथ यात्रा का समापन आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर होता है।
ऐसे जो भक्त सच्चे मन से भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना करता है उसके ऊपर भगवान का आशीर्वाद जरूर मिलता है. भगवान जगन्नाथ की पूजा में उनकी आरती का विशेष महत्व होता है. ऐसे में भगवान जगन्नाथ की पूजा करने के बाद उनकी आरती का पाठ अवश्य करना चाहिए.
जगन्नाथ जी की आरती
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि,कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,अगर कपूर बाटी भव से धारी.
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी.
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,घर घरन बजता बाजे बंसुरी,झांझ या मृदंग बाजे, ताल खनजरी.
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी.
निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविन्द आपादा हरि,जगन्नाथ स्वामी के अताको चढे वेद की धुवानी,जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी.
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी.
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,मार्कंडेय स्व गंगा आनंद भरि.
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी.
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी.
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी.
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,मंगलकारी नाथ आपादा हरि.
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,अगर कपूर बाटी भव से धारी.
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी.
॥ इति श्री जगन्नाथ आरती संपूर्णम् ॥
Jagannath Ji Ki Aarti
Aarti Shri Jagannath Mangalkari,
Parsat Charnarwind Aapda haari.
Nirkhat Mukharwind Aapda Haari.
Kanchan Thar Dhup deep jyoti Jagmagi.
Agnikund ghirat paaw paaw Saathri.
Aarti Shri Jagannath Mangalkari…….
Dewan Dware Thade rohini khadi.
Markande Shwet Ganga Aan ke bhari.
Garud Khambh Sinh paur yatra judi.
Yatra ki bheed bahut bent ki chhadi.
Aarti Shri Jagannath Mangalkari……
Dhanya Dhanya surshyam aaj ki ghari.
Aarti Shri Jagannath mangalkari…….
Mangalkaari nath aapada haari,
Kanchan ko dhup deep jyot jagmagi,
Agar kapur baati bhaav se dhari,
Aarti Shri Jagannath mangal kaari,
Aarti Shri Baikunth mangalkari.
भगवान जगन्नाथ(Jagannath) कौन है?
भगवान जगन्नाथ (Jagannath Ji) भारत और दुनिया भर में भक्तों द्वारा पूजे जाने वाले एक हिंदू देवता हैं। भगवान जगन्नाथ (Jagannath Ji) को भगवान विष्णु का अवतार (अवतार) माना जाता है। वास्तव में, उनके पास भगवान विष्णु के सभी अवतारों के गुण हैं। भगवान जगन्नाथ की अलग-अलग अवसरों पर अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है।
जगन्नाथ(Jagannath) मंदिर का निर्माण
गंग वंश काल के कुछ मिलते प्रमाणों के मुताबिक (Jagannath Ji) जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण कलिंग के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने किया था। राजा ने अपने शासनकाल 1078 से 1148 के बीच मंदिर के जगमोहन और विमान भाग का निर्माण कराया था। उसके पश्यात 1197 में ओडिशा के राजा भीम देव ने वर्तमान मंदिर का निर्माण कराया था।
ऐसा जाता है कि जगन्नाथ मंदिर में 1448 से ही पूजा की जा रही है। मगर उसी साल में एक अफगान ने ओडिशा पर आक्रमण किया था। उस समय भगवान जगन्नाथ (Jagannath Ji) की मूर्तियों और मंदिर को नस्ट कर दिया था।
मगर बाद में राजा रामचंद्र देव ने खुर्दा में अपना राज्य स्थापित किया था। और (Jagannath Ji) जगन्नाथ मंदिर और इसकी मूर्तियों को फिरसे स्थापित किया था।
भारत के सबसे शानदार मंदिरों में से एक जगन्नाथ (Jagannath Ji) मंदिर है। जगन्नाथ मंदिर अपनी उत्कृष्ट उड़िया वास्तुकला से प्रसिद्ध है। मंदिर तक़रीबन 4,00,000 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला दो आयताकार दीवारों से घिरा हुआ है।
बाहरी दीवार को मेघनाद पचेरी कहा जाता है। वह दीवार 20 फीट ऊंची है। दूसरे को कूर्म बेधा कहा जाता है, वह मुख्य मंदिर को घेरता है। मुख्य मीनार या शिखर दूसरे शिखरों की तुलना में अधिक ऊँचा है। जिसमे देवताओं का घर है। जगन्नाथ मंदिर में चार अलग-अलग संरचनाएं

जगन्नाथ जी की आरती
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