Kali Maa Ki Aarti (काली माता की आरती) - Gyan.Gurucool
chat-robot

LYRIC

महाकाल की काली (Kali Maa Ki Aarti)

‘काली’ (Kali) का अर्थ है समय और काल। काल, जो सभी को अपने में निगल जाता है। भयानक अंधकार और श्मशान की देवी। वेद अनुसार ‘समय ही आत्मा है, आत्मा ही समय है’। मां कालिका की उत्पत्ति धर्म की रक्षा और पापियों-राक्षसों का विनाश करने के लिए हुई है।

काली (Kali) को माता जगदम्बा की महामाया कहा गया है। मां ने सती और पार्वती के रूप में जन्म लिया था। सती रूप में ही उन्होंने 10 महाविद्याओं के माध्यम से अपने 10 जन्मों की शिव को झांकी दिखा दी थी।

मां काली (Kali) , मां पार्वती और मां सीता का क्रोधित रूप हैं। उनकी गिनती तामसिक देवी-देवताओं में होती है. हालांकि वह निराकार हैं, लेकिन आधुनिक युग में उनका रूप बना दिया गया, जो अब मंदिरों में मूर्ति के रूप में विराजमान हैं। देवी पार्वती  ने यह भयानक रूप पापियों के विनाश के लिए अपनाया था। इस रूप में मां का रंग काला  है। वह देखने में भयानक लगती हैं।

उनके एक हाथ में कटार और दूसरे हाथ में  खप्पर, और गले में मुंडमाला है। इस रूप में मां का निवास स्थान शमशान है। काली (Kali Maa Ki Aarti) को तस्वीरों में भगवान शिव की छाती पर एक पैर के साथ युद्ध के मैदान में खड़े होने के रूप में दर्शाया गया है। उनकी जीभ भगवान शिव की छाती पर पैर रखने के लिए अचरज में पड़ गई। उसका रंग गहरा है और उसके चेहरे के भाव क्रूर हैं।

 

Kali Maa

Source – Wikipedia

 

काली माता की आरती 

अम्बे तू है जगदम्बे काली,जय दुर्गे खप्पर वाली,

तेरे ही गुण गावें भारती,ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

तेरे भक्त जनो पर माताभीर पड़ी है भारी।

दानव दल पर टूट पड़ो माँकरके सिंह सवारी॥

सौ-सौ सिहों से बलशाली,है अष्ट भुजाओं वाली,

दुष्टों को तू ही ललकारती।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

नहीं मांगते धन और दौलत,न चांदी न सोना।

हम तो मांगें तेरे चरणों मेंछोटा सा कोना॥

सबकी बिगड़ी बनाने वाली,लाज बचाने वाली,

सतियों के सत को संवारती।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

चरण शरण में खड़े तुम्हारी,ले पूजा की थाली।

वरद हस्त सर पर रख दो माँसंकट हरने वाली॥

माँ भर दो भक्ति रस प्याली,अष्ट भुजाओं वाली,

भक्तों के कारज तू ही सारती।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

 

Kali Maa Ki Aarti

Ambe Tu Hai Jagadambe Kali,Jai Durge Khappara Wali,

Tere Hi Guna Gaven Bharati,O Maiya Hama Saba Utare Teri Aarti।

O Maiya Hama Saba Utare Teri Aarti॥

Tere Bhakta Jano Para MataBhira Padi Hai Bhari।

Danava Dala Para Tuta Pado MaaKarake Sinha Sawari॥

Sau-Sau Sihon Se Balashali,Hai Ashta Bhujaon Wali,

Dushton Ko Tu Hi Lalakarati।

O Maiya Hama Saba Utare Teri Aarti॥

Maa-Bete Ka Hai Isa Jaga MeinBada Hi Nirmala Nata।

Puta-Kaputa Sune HaiPara Na Mata Suni Kumata॥

Saba Pe Karuna Darshane Wali,Amrita Barasane Wali,

Dukhiyon Ke Dukhade Nivarati।

O Maiya Hama Saba Utare Teri Aarti॥

Nahin Mangate Dhana Aur Daulata,Na Chandi Na Sona।

Hama To Mangen Tere Charanon MeinChhota Sa Kona॥

Sabaki Bigadi Banane Wali,Laja Bachane Wali,

Satiyon Ke Sata Ko Sanwarati।

O Maiya Hama Saba Utare Teri Aarti॥

Charana Sharana Mein Khade Tumhari,Le Puja Ki Thali।

Varada Hasta Sara Para Rakha Do MaaSankata Harane Wali॥

Maa Bhara Do Bhakti Rasa Pyali,Ashta Bhujaon Wali,

Bhakton Ke Karaja Tu Hi Sarati।

O Maiya Hama Saba Utare Teri Aarti॥

उनके चार हाथों को दर्शाया गया है। ऊपरी हाथों में से एक में वह खूनी कृपाण रखती हैं और दूसरे ऊपरी हाथ में वह कटा हुआ एक राक्षस का सिर रखती हैं। निचले हाथों में से एक में वह एक कटोरा रखती है जिसमें वह रक्त एकत्र करती हैं जो ऊपरी हाथ में दानव के विच्छेदित सिर से टपकता है। दूसरा निचला हाथ वरद मुद्रा में दिखाया गया है।

वह नग्न दिखाया गया है और वह एक मुंडो की माला पहने नजर आती हैं। निचले शरीर में वह मानव हथियारों से बना कमरबंद पहनती हैं। इसके अलावा कहीं कही तस्वीरों में काली के ऊपरी हाथों में से एक को वरदा मुद्रा में दिखाया गया है और निचले हाथों में त्रिशूल दर्शाया गया है।कालिका की उपासना जीवन में सुख, शांति, शक्ति, विद्या देने वाली बताई गई है। मां कालि (Kali Maa Ki Aarti) की भक्ति का प्रभाव व्यावहारिक जीवन में मानसिक, शारीरिक और सांसारिक बुराइयों के अंत के रूप में दिखाई देता है जिससे किसी भी इंसान के तनाव, भय और कलह का नाश हो जाता है।

Kali Maa ki Aarti

काली (Kali) माता की आरती

Your email address will not be published. Required fields are marked *