Divine Melodies: Pitar Ji Ki Aarti (पितर देवों की आरती) - Gyan.Gurucool
chat-robot

LYRIC

धर्मशास्त्रों के अनुसार पितरों (Pitar) का निवास चंद्रमा के उर्ध्वभाग में माना गया है। ये आत्माएं मृत्यु के बाद 1 से लेकर 100 वर्ष तक मृत्यु और पुनर्जन्म की मध्य की स्थिति में रहती हैं।

पितृलोक के श्रेष्ठ को न्यायदात्री समिति का सदस्य माना जाता है।धर्मशास्त्रों के अनुसार इनका निवास चंद्रमा के उर्ध्वभाग में माना गया है।

यमराज की गणना भी इनमें होती है। काव्यवाडनल, सोम, अर्यमा और यम- ये चार इस जमात के मुख्य गण प्रधान हैं। अर्यमा को इनका प्रधान माना गया है और यमराज को न्यायाधीश।
इन चारों के अलावा प्रत्येक वर्ग की ओर से सुनवाई करने वाले हैं, यथा- अग्निष्व, देवताओं के प्रतिनिधि, सोमसद या सोमपा-साध्यों के प्रतिनिधि तथा बहिर्पद-गंधर्व, राक्षस, किन्नर सुपर्ण, सर्प तथा यक्षों के प्रतिनिधि हैं। इन सबसे गठित जो जमात है, वही पितर (Pitar) हैं। यही मृत्यु के बाद न्याय करती है।
भगवान चित्रगुप्तजी के हाथों में कर्म की किताब, कलम, दवात और करवाल हैं। ये कुशल लेखक हैं और इनकी लेखनी से जीवों को उनके कर्मों के अनुसार न्याय मिलता है।

Pitar Ji ki Aarti

पितर देवों की आरती

जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूँ थारी ।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूँ थारी ॥ जय जय …

आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे ।
मैं मूरख हूँ कछु नहिं जाणूं, आप ही हो रखवारे ॥ जय जय …

आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी ।
हम सब जन हैं शरण आपकी, है ये अरज गुजारी ॥ जय जय …

देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई ।
काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई ॥ जय जय …

भक्त सभी हैं शरण आपकी, अपने सहित परिवार ।
रक्षा करो आप ही सबकी, रटूँ मैं बारम्बार ॥ जय जय …

जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूँ थारी ।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूँ थारी ॥ जय जय …

॥ इति श्री पितर आरती संपूर्णम् ॥

Pitar Ji Ki Aarti

Jai Jai Pitar Maharaj, Main Sharan Padayon Hoon Thari.
Sharan Padayo Hoon Thari Baba, Sharan Padayo Hoon Thari. Jai Jai…

Aap Hi Rakshak Aap Hi Data, Aap Hi Khevanahari.
Main Morakh Hoon Kachhu Nahin Janu, Aap Hi Ho Rakhaware. Jai Jai…

Aap Khade Hain Haradam Har Ghadi, Karane Meri Rakhavaaree.
Ham Sab Jan Hain Sharan Aapki, Hai Ye Araj Gujari. Jai Jai…

Desh Aur Paradesh Sab Jagah, Aap Hi Karo Sahai.
Kam Pade Par Naam Aapko, Lage Bahut Sukhadai. Jai Jai…

Bhakt Sabhi Hain Sharan Apaki, Apne Sahit Parivar.
Raksha Karo Aap Hi Sabaki, Ratu Main Barambar. Jai Jai…

Jai Jai Pitar Maharaj, Main Sharan Padayon Hoon Thari.
Sharan Padayo Hoon Thari Baaba, Sharan Padayo Hoon Thari. Jai Jai…

 

तृलोक के श्रेष्ठ इनको न्यायदात्री समिति का सदस्य माना जाता है। पुराण अनुसार मुख्यत: पितरों को दो श्रेणियों में रखा जा सकता है- दिव्य और मनुष्य । दिव्य उस जमात का नाम है, जो जीवधारियों के कर्मों को देखकर मृत्यु के बाद उसे क्या गति दी जाए, इसका निर्णय करता है। इस जमात का प्रधान यमराज है।

अग्रिष्वात्त, बहिर्पद आज्यप, सोमेप, रश्मिप, उपदूत, आयन्तुन, श्राद्धभुक व नान्दीमुख ये नौ दिव्य पितर (Pitar) बताए गए हैं। आदित्य, वसु, रुद्र तथा दोनों अश्विनी कुमार भी केवल नांदीमुख को छोड़कर शेष सभी को तृप्त करते हैं।

आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ऊपर की किरण (अर्यमा) और किरण के साथ पितृ प्राण पृथ्वी पर व्याप्त रहता है।इनमें श्रेष्ठ है अर्यमा। अर्यमा इनके देव हैं। ये महर्षि कश्यप की पत्नी देवमाता अदिति के पुत्र हैं और इंद्रादि देवताओं के भाई। पुराण अनुसार उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र इनका निवास लोक है।
इनकी गणना नित्य में की जाती है जड़-चेतन मयी सृष्टि में, शरीर का निर्माण नित्य पितृ ही करते हैं। इनके प्रसन्न होने पर पितरों (Pitar) की तृप्ति होती है। श्राद्ध के समय इनके नाम से जलदान दिया जाता है। यज्ञ में मित्र (सूर्य) तथा वरुण (जल) देवता के साथ स्वाहा का ‘हव्य’ और श्राद्ध में स्वधा का ‘कव्य’ दोनों स्वीकार करते हैं।

कुछ व्यक्ति अपने कर्मों से पुण्य अर्जित करके देव लोक एवं पितृ लोक में स्थान प्राप्त करते हैं यहां अपने योग्य शरीर मिलने तक ऐसी आत्माएं निवास करती हैं।

शास्त्रों में बताया गया है कि चन्द्रमा के ऊपर एक अन्य लोक है जो पितर (Pitar) लोक कहलाता है। शास्त्रों में पितरों को देवताओं के समान पूजनीय बताया गया है।

गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि वह इनमें अर्यमा नामक पितर (Pitar) हैं। यह कह कर श्री कृष्ण यह स्पष्ट करते हैं कि पितर (Pitar) भी वही हैं इनकी पूजा करने से भगवान विष्णु की ही पूजा होती है।

विष्णु पुराण के अनुसार सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा जी के पृष्ठ भाग यानी पीठ से पितर (Pitar) उत्पन्न हुए। पितरों के उत्पन्न होने के बाद ब्रह्मा जी ने उस शरीर को त्याग दिया जिससे ये उत्पन्न हुए थे।

Pitar Ji Ki Aarti

पितर देवों की आरती

Your email address will not be published. Required fields are marked *