Vaishno Devi Ki Aarti (माँ वैष्णो देवी की आरती) - Gyan.Gurucool
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माना जाता है कि माता वैष्णो देवी (Vaishno Devi) ने त्रेता युग में माता पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी के रूप में मानव जाति के कल्याण के लिए एक सुंदर राजकुमारी के रूप में अवतार लिया था।वैष्णो देवी का पवित्र मंदिर त्रिकुटा पर्वत पर एक सुंदर, प्राचीन गुफा में है. जिसे वैष्णो  माता (Vaishno Devi) के रूप में जाना जाता है. जिन्हें देवी महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का अवतार माना जाता है। भारत के बाकी पवित्र स्थलों के साथ वैष्णो देवी का स्थल भी काफी पवित्र माना जाता है।

वैष्णो देवी (Vaishno Devi) का विश्व प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में कटरा नगर के समीप की पहाड़ियों पर स्थित है। इन पहाड़ियों को त्रिकुटा पहाड़ी कहते हैं। यहीं पर लगभग 5,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है मातारानी का मंदिर। यह भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थ स्थल है। त्रिकुटा की पहाड़ियों पर स्थित एक गुफा में माता वैष्णो देवी की स्वयंभू तीन मूर्तियां हैं।

 Vaishno Devi

Source – Zedge

वैष्णो देवी (Vaishno Devi) काली (दाएं), सरस्वती (बाएं) और लक्ष्मी (मध्य), पिण्डी के रूप में गुफा में विराजित हैं। इन तीनों पिण्डियों के सम्मि‍लित रूप को वैष्णो देवी माता कहा जाता है। इस स्थान को माता का भवन कहा जाता है। पवित्र गुफा की लंबाई 98 फीट है। इस गुफा में एक बड़ा चबूतरा बना हुआ है। इस चबूतरे पर माता का आसन है जहां देवी त्रिकुटा अपनी माताओं के साथ विराजमान रहती हैं।भवन वह स्थान है जहां माता ने भैरवनाथ का वध किया था।

माँ वैष्णो देवी की आरती (Vaishno Devi Ki Aarti)

श्री वैष्णवी नमः

जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता।

हाथ जोड़ तेरे आगे, आरती मैं गाता॥

शीश पे छत्र विराजे, मूरतिया प्यारी।
गंगा बहती चरनन, ज्योति जगे न्यारी॥

ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे, शंकर ध्यान धरे।
सेवक चंवर डुलावत, नारद नृत्य करे॥

सुन्दर गुफा तुम्हारी, मन को अति भावे।
बार-बार देखन को, ऐ माँ मन चावे॥

भवन पे झण्डे झूलें, घंटा ध्वनि बाजे।
ऊँचा पर्वत तेरा, माता प्रिय लागे॥

पान सुपारी ध्वजा नारियल, भेंट पुष्प मेवा।
दास खड़े चरणों में, दर्शन दो देवा॥

जो जन निश्चय करके, द्वार तेरे आवे।
उसकी इच्छा पूरण, माता हो जावे॥

इतनी स्तुति निश-दिन, जो नर भी गावे।
कहते सेवक ध्यानू, सुख सम्पत्ति पावे॥

 

Shri Vaishno Devi Aarti

Jai Vaishnavi Mata, Maiya Jai Vaishnavi Mata।
Hatha Joda Tere Age, Aarti Main Gata॥

Shisha Pe Chhatra Viraje, Muratiya Pyari।
Ganga Bahati Charanana, Jyoti Jage Nyari॥

Brahma Veda Padhe Nita Dware, Shankara Dhyana Dhare।
Sevaka Chanwara Dulavata, Narada Nritya Kare॥

Sundara Gufa Tumhari, Mana Ko Ati Bhave।
Bara-Bara Dekhana Ko, Ai Maa Mana Chave॥

Bhavana Pe Jhande Jhulen, Ghanta Dhwani Baje।
Uncha Parvata Tera, Mata Priya Lage॥

Pana Supari Dhwaja Nariyala, Bhenta Pushpa Meva।
Dasa Khaden Charanon Mein, Darshana Do Deva॥

Jo Jana Nishchaya Karake, Dwara Tere Ave।
Usaki Ichchha Purana, Mata Ho Jave॥

Itani Stuti Nisha-Dina, Jo Nara Bhi Gave।
Kahate Sevaka Dhyanu, Sukha Sampatti Pave॥

प्राचीन गुफा के समक्ष भैरो का शरीर मौजूद है और उसका सिर उड़कर तीन किलोमीटर दूर भैरो घाटी में चला गया और शरीर यहां रह गया। जिस स्थान पर सिर गिरा, आज उस स्थान को ‘भैरोनाथ के मंदिर‘ के नाम से जाना जाता है। कटरा से ही वैष्णो देवी  (Vaishno Devi) की पैदल चढ़ाई शुरू होती है जो भवन तक करीब 13 किलोमीटर और भैरो मंदिर तक 14.5 किलोमीटर है।

मंदिर के संबंध में कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। एक बार त्रिकुटा की पहाड़ी पर एक सुंदर कन्या को देखकर भैरवनाथ उससे पकड़ने के लिए दौड़े। तब वह कन्या वायु रूप में बदलकर त्रिकूटा पर्वत की ओर उड़ चलीं। भैरवनाथ भी उनके पीछे भागे। माना जाता है कि तभी मां की रक्षा के लिए वहां पवनपुत्र हनुमान पहुंच गए। हनुमानजी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर धनुष से पहाड़ पर बाण चलाकर एक जलधारा निकाली और उस जल में अपने केश धोए। फिर वहीं एक गुफा में गुफा में प्रवेश कर माता ने नौ माह तक तपस्या की।
ऐसी मान्यता है कि वैष्णो माता (Vaishno Devi) का जन्म दक्षिणी भारत में रत्नाकर के घर हुआ था. माता के जन्म से पहले उनके माता-पिता लंबे समय तक नि:संतान रहे. बताया जाता है कि माता का जन्म होने से एक रात पहले उनके माता ने वचन लिया था. उनका वचन था कि वो बालिका जो भी चाहे वे उसके रास्ते में नहीं आएंगी. बचपन में माता का नाम त्रिकुटा था. बाद में उनका जन्म भगवान विष्णु के वंश से हुआ, जिसके कारण उनका नाम वैष्णवी पड़ा.
Viashno Devi Aarti

माँ वैष्णो देवी की आरती

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