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ब्रह्मा के काल में हुए भगवान विष्णु (Vishnu) को पालनहार माना जाता है। विष्णु (Vishnu) ने ब्रह्मा के पुत्र भृगु की पुत्री लक्ष्मी से विवाह किया था। शिव ने ब्रह्मा के पुत्र दक्ष की कन्या सती से विवाह किया था।
हिन्दू धर्म के अनुसार विष्णु (Vishnu) परमेश्वर के 3 मुख्य रूपों में से एक रूप हैं। पुराणों की खाक छानने के बाद पता चलता हैं कि वे लगभग 9500 ईसापूर्व हुए थे। यहां प्रस्तुत है भगवान विष्णु (Vishnu) का संक्षिप्त परिचय।
हिन्दू धर्म में कहते हैं कि ब्रह्माजी जन्म देने वाले, विष्णु (Vishnu) पालने वाले और शिव वापस ले जाने वाले देवता हैं। भगवान विष्णु (Vishnu) तो जगत के पालनहार हैं। वे सभी के दुख दूर कर उनको श्रेष्ठ जीवन का वरदान देते हैं।
जीवन में किसी भी तरह का संकट हो या धरती पर किसी भी तरह का संकट खड़ा हो गया हो, तो विष्णु (Vishnu) ही उसका समाधान खोजकर उसे हल करते हैं।
भगवान विष्णु (Vishnu) ने ही नृसिंह अवतार लेकर एक और जहां अपने भक्त प्रहलाद को बचाया था वहीं क्रूर हिरण्यकश्यपु से प्रजा को मुक्ति दिलाई थी।
उसी तरह वराह अवतार लेकर उन्होंने महाभयंकर हिरण्याक्ष का वध करके देव, मानव और अन्य सभी को भयमुक्त किया था। उन्होंने ही महाबलि और मायावी राजा बलि से देवताओं की रक्षा की थी।

Source – Mukund Kapoor
विष्णु जी की आरती
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे।।
Vishnu Ji Ki Aarti
Om Jai Jagadish Hare, Swami Jai Jagadish Hare
Bhakt Jano Ke Sankat Daas Jano Ke Sankat Kshan Men Door Kare
Om Jai Jagadish Hare
Jo Dhyaave Phal Paave Dukh Bin Se Man Kaa, Swami Dukh Bin Se Man Kaa
Sukh Sampati Ghar Ave Sukh Sampati Ghar Ave Kasht Mite Tan Kaa
Om Jai Jagadish Hare
Maat Pita Tum Mere Sharan Kahoon Kiski, Swami Sharan Kahoon Kiski
Tum Bin Aur Na Dooja Tum Bin Aur Na Dooja Aas Karoon Jiski
Om Jai Jagadish Hare
Tum Pooran Paramatma Tum Antaryami,
Swami Tum Antaryami
Paar Brahm Parameshwar Tum Sabke Swami
Om Jai Jagadish Hare
Tum Karuna Ke Saagar Tum Paalan Karta,
Swami Tum Paalan Karta
Main Moorakh Khalakhami, Main Sevak Tum Swami Kripa Karo Bharta
Om Jai Jagadish Hare
Tum Ho Ek Agochar Sab Ke Praan Pati
Swami Sab Ke Praan Pati
Kis Vidhi Miloon Dayamaya Kis Vidhi Miloon Dayamaya Tum Ko Main Kumati
Om Jai Jagdish Hare
Deen Bandhu Dukh Harta Thaakur Tum Mere, Swaami Rakhshak Tum Mere
Apne Haath Uthao Apni Sharan Lagao Dwaar Padha Tere
Om Jai Jagadish Hare
Vishay Vikaar Mitaao Paap Haro Deva, Swami Paap Haro Deva
Shradha Bhakti Badhao Shradha Bhakti Badhao Santan Ki Seva
Om Jai Jagadish Hare
भगवान विष्णु (Vishnu) को इस संसार के पालनहार के रूप में पूजा जाता है। भगवान की आराधना से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति स्थापित होती है। माना जाता है कि भगवान विष्णु (Vishnu) के पूजन से व्यक्ति को मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी स्वतः ही प्राप्त हो जाता है।
भगवान के अनेकों भक्त हैं और उनके भक्त उन्हें विभिन्न नामों से पुकारते हैं। कोई उन्हें श्री हरि कहता है तो कोई नारायण। वहीं, कुछ भक्त उन्हें लक्ष्मीपति के नाम से भी संबोधित करते हैं।
हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य डॉ राधाकांत वत्स ने हमें भगवान विष्णु (Vishnu) से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताए जो न सिर्फ हैरान कर देने वाले हैं बल्कि उनका एक गूढ़ महत्व भी है।
उन्हीं तथ्यों में से एक है भगवान विष्णु (Vishnu) को नारायण और हरि नाम से पुकारे जाने का रहस्य जो आज हम आपके साथ साझा करने जा रहे हैं। जल का पर्यायवाची शब्द नीर है।
जिसे संस्कृत भाषा में उपयोग करते समय कुछ विशेष स्थितियों में नर भी कहा जाता है। यानी कि अथाह नर या नीर की गहराई में निवास करने वाले नारायण। तो ऐसे पड़ा था भगवान विष्णु (Vishnu) का नारायण नाम।
ऐसी मान्यता है कि जो सच्चे मन से भगवान विष्णुजी की पूजा करता है कि उनकी सभी कष्ट दूर होते हैं और पापों का नाश होता है।धरती पर बढ़ते पापों को खत्म करने के लिए भगवान खुद संसार में अवतार के रूप में प्रकट होते है।

विष्णु जी की आरती
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